स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, जब पूरा देश 15 अगस्त 2025 को अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मानाने जा रहा है, उसी समय कई गंभीर राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दे हमारे सामने चिंता की लकीर खींच रहे हैं। यह केवल एक त्यौहार या ध्वज फहराने का दिन नहीं है, बल्कि यह समय है जब हम अपने देश की वास्तविक स्थिति का आकलन करें। भ्रष्टाचार, चुनावी अनियमितताएं, किसानों की परेशानियां, गरीबी और महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े मामलों ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हम वास्तव में उन मूल्यों के अनुरूप स्वतंत्र और सुरक्षित हैं जिनके लिए हमारे पूर्वजों ने संघर्ष किया था। यह दिन हमें यह सोचने के लिए प्रेरित करता है कि स्वतंत्रता केवल झंडे और जश्न तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नागरिकों के अधिकारों, न्याय व्यवस्था की पारदर्शिता और समाज में समान अवसर की गारंटी के साथ जुड़ा हुआ होना चाहिए।
कुछ राष्ट्रीय मुद्दे जो स्वतंत्रता और लोकतंत्र पर सवाल खड़े करते हैं
- SSC भर्ती घोटाला
2025 में SSC परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों का आरोप सामने आया है। छात्रों और अभ्यर्थियों ने परीक्षा केंद्रों पर तकनीकी गड़बड़ियों और पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया है। इस घोटाले ने देशभर में विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया और सरकारी संस्थाओं की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए।
- वोट चोरी का आरोप
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2024 के आम चुनाव में फर्जी वोटर जोड़ने का आरोप लगाया है। इसे ‘वोट चोरी’ करार देते हुए विपक्षी दलों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। यह सवाल उठाता है कि क्या हमारे लोकतंत्र में जनता की आवाज़ वास्तव में सुनी जा रही है।
- किसान आंदोलन
महाराष्ट्र और उत्तर भारत में किसानों ने कृषि ऋण माफी और परियोजनाओं की रद्दीकरण की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। यह दर्शाता है कि किसानों को अभी भी न्याय और सुरक्षित कृषि नीति नहीं मिल रही है।
- गरीबी और असमानता
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार भारत में अत्यधिक गरीबी घटकर 2.3% हो गई है, लेकिन अभी भी करोड़ों लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। यह सवाल उठता है कि क्या यह वास्तविक स्वतंत्रता और समानता है?
- RG Kar Medical College डॉक्टर बलात्कार मामला
कोलकाता के RG Kar Medical College में एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या का मामला सामने आया। यह घटना महिलाओं की सुरक्षा और न्याय प्रणाली की विफलता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
स्वतंत्रता दिवस पर यह सोचने का समय है कि क्या हम वास्तव में स्वतंत्र हैं? क्या हमारे लोकतंत्र, न्याय व्यवस्था और सामाजिक संस्थान सही दिशा में काम कर रहे हैं? क्या महिलाओं, किसानों और आम नागरिकों के अधिकार पूरी तरह सुरक्षित हैं?

