पौष माह को पितरों को समर्पित माह माना जाता है। इसे छोटा श्राद्ध पक्ष भी कहते है। पौष माह साल की पहली अमावस्या होगी। जिसमें पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है। पितृदोष सबसे कष्टकारी दोष में से एक है। पितृ दोष जातक की उन्नति में बाधा उत्पन्न करती है। अगर आप पितृ दोष से जुझ रहे है तो पौष माह में इससे मुक्ति पाने का शुभ अवसर आ गया है। पौष माह को पितरों को समर्पित माह माना जाता है। इसे छोटा श्राद्ध पक्ष भी कहते है। पौष माह साल की पहली अमावस्या होगी। जिसमें पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है।
हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के अगले दिन अमावस्या तिथि पड़ती है। इस साल 2024 की पहली अमावस्या 11 जनवरी को है। इस दिन साधक गंगा में स्नान-दान करने के बाद जगत के पालनहार भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना और पितरों का तर्पण करते है। ऐसा करने से इंसान को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पौष अमाव्सया तिथि

हर साल की पहली अमावस्या को पौष अमावस्या के नाम से जाना जाता है। पौष अमावस्या 11 जनवरी 2024 गुरुवार को पड़ रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 10 जनवरी को बुधवरा रात 8 बजकर 10 मिनट से शुरु होकर 11 जनवरी गुरुवार को शाम 5 बजकर 26 मिनट पर खत्म होगी। स्नान व दान-दक्षिणा का मुहूर्त सुबह 5 बजकर 57 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। पितरों के तर्पण के लिए अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।
पौष अमावस्या के उपाय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अमावस्या के दिन कालसर्प दोष की पूजा की जाती है। अमावस्या के अवसर पर चांदी से निर्मित नाग-नागिन की विधिपूर्वक पूजा कर उन्हें नदी में प्रवाहित करें। माना जाता है कि ऐसा करने से इंसान को कालसर्प दोष से छुटकारा मिलता है।

अमावस्या तिथि को पितरों की तृप्ति के लिए अहम मानी जाती है। कुंडली में पितृ दोष होने से अमावस्या के दिन पितरों के तर्पण और पिंडदान करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है और पितरों के आशीर्वाद से घर में खुशहाली बनी रहती है।
पौष अमावस्या के दिन ब्राहम्णों को भोजन कराना शुभ माना जाता है। इस दिन पूजा-अर्चना करने के बहाद ब्राहम्णों को भोजन कराएं और इसके बाद उन्हें दान-दक्षिणा भी दें। माना जाता है कि ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
पौष अमावस्या का महत्व

पौष माह में पड़ने की वजह से यह अमावस्या विशेष लाभदायी और शुभ मानी जाती है। इस दिन व्रत या उपवास रखने से पूजा-अर्चना करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु का पूजा पाठ करके भजन-कीर्तन करने की परंपरा है। अमावस्या के दिन निर्धनों व जरुरतमंदों को दान-दक्षिणा देने से पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन स्नान-दान करने से पितरों पर आए संकट दूर हो जाते है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पौष अमावस्या विधि
इस दिन शिवलिंग का अभिषेक करना बेहद श्रेष्ठ माना जाता है। सुबह के समय स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर अर्घ्य दें। पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और उपवास करें। जरुरतमंदों को दान-दक्षिणा दें और शाम के समय पीपल के वृक्ष में दीपक जलाकर जरुर रखें। इस दिन तुलसी के पौधे की परिक्रमा करनी चाहिए।

क्यों खास है अमावस्या तिथि
मान्यता है कि अमाव्सया तिथि पर पूर्वज धरती पर आकर अपने परिजनों से तर्पण की कामना करते है। इस दिन पितृदोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए खास उपाय भी किए जाते है। अमावस्या तिथि पर ध्यान, तर्पण और दान करने से पितर प्रसन्न होते है। इस माह की अमावस्या में पितरों के लिए गए कार्य व्यक्ति को सुख और समृद्ध जीवन देते है। कुंडली दोषों से मुक्ति दिलाते है। शास्त्रों में पौष का महीना सूर्य और पितरों की पूजा के लिए बहुत खास माना गया है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने और गीता का पाठ करने की भी मान्यता है।
पौष अमावस्या पर क्यों किया जाता है स्नान-दान

अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। इस दिन स्नान करने से कष्ट और संकटों से मुक्ति मिलती है और साथ ही पुण्य की प्राप्ति होती है। अमावस्या के दिन पितरों को जल जरुर अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद हमारे जीवन पर बना रहता है और पितृ प्रसन्न होते है। इस दिन पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और पितरों द्वारा किए गए पापों का नाश होता है।