Earthquake tremors : नेपाल में एक सप्ताह के अंदर दूसरी बार भूकंप आया है। दिल्ली-NCR में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। हालिया आंकड़ों की मानें तो बीते चार दिनों में दूसरी बार धरती हिली है। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 5.6 मापी गई।
जानकारी के मुताबिक इस भूकंप का केंद्र भी नेपाल ही था। दिल्ली के अलावा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप के तेज झटके 4 बजकर 18 मिनट पर लगे हैं। बता दें कि नेपाल में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसका असर दिल्ली एनसीआर में भी देखने को मिला। आज आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.6 बताई गई है।
गौरतलब है कि पिछले एक सप्ताह में नेपाल सहित कई जगहों पर भूकंप के झटके आए हैं। नेपाल में गत शुक्रवार को आए भूकंप में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग प्रभावित हुए थे। बताया जा रहा है कि नेपाल दुनिया के सबसे सक्रिय टेक्टोनिक क्षेत्रों में से एक में स्थित है, जो इसे भूकंप के प्रति बेहद संवेदनशील बनाता है। इससे पहले शुक्रवार देर रात भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई थी। जानकारी के मुताबिक देर रात 11:32 बजे भूकंप के झटके लगे। भूकंप का केंद्र नेपाल था।
भूकंप के बारे में नहीं लगाया जा सकता सटीक पूर्वानुमान
भूकंप के बारे में सटीक पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। अब सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि अगर भूकंप सचमुच आ ही जाए तो हमें क्या करना चाहिए या ऐसा क्या है, जो हमें बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इस वजह से विशेषज्ञ बीच-बीच में ऐसे उपाय सुझाते रहे हैं। जिनसे भूकंप के बाद होने वाले खतरों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार नुकसान को कम करने और जान बचाने के लिए कुछ तरकीबें हैं। जिनसे काफी मदद मिल सकती है।
भूकंप आने का कारण
हमारी धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। यह प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
7.8 तीव्रता के भूकंप से 10 फीट तक खिसक गया था काठमांडू
नेपाल में वर्ष 2015 में 7.8 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी। इस दौरान करीब 9 हजार लोग मारे गए थे। इस भूकंप ने देश के भूगोल को भी बिगाड़ दिया था। यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के टैक्टोनिक एक्सपर्ट जेम्स जैक्सन के अनुसार भूकंप के बाद काठमांडू के नीचे की जमीन तीन मीटर यानि करीब 10 फीट दक्षिण की ओर खिसक गई। हालांकि दुनिया की सबसे बड़ी पर्वत चोटी एवरेस्ट के भूगोल में किसी बदलाव के संकेत नहीं हैं। नेपाल में आया यह भूकंप 20 बड़े परमाणु बमों जितना शक्तिशाली था।
एक्सपर्ट का दावा, आते रहेंगे भूकंप
भूगोल के जानकार डॉ. राजेंद्र सिंह राठौड़ के अनुसार अरावली पर्वतमाला के पूर्व में एक भ्रंश रेखा (दरार) है। यह भ्रंश रेखा राजस्थान के पूर्वी तट से होते हुए धर्मशाला तक जाकर मिलती है। इसमें राजस्थान के जयपुर, अजमेर, भरतपुर इलाके शामिल हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि अरावली पहाड़ में जो दरारें हैं, उनमें हलचल शुरू हो चुकी है। अब ऐसे भूकंप के झटके जयपुर समेत इससे सटे हुए अन्य इलाकों में भी आते रहेंगे। जयपुर जोन-2 और पश्चिमी राजस्थान जोन-3 में आता है। इसमें सामान्य भूकंप के झटके आते हैं।
जानिए भूकंप की तीव्रता कितनी घातक जानकारी अनुसार रिक्टर स्केल पर 2.0 से कम तीव्रता वाला भूकंप माइक्रो कैटेगरी में रखा जाता है। इसमें नाममात्र की ही कंपन होती है। जानने योग्य है कि रिक्टर स्केल पर माइक्रो कैटेगरी के 8000 भूकंप विश्वभर में प्रतिनिद आते जाते हैं। इसी तरह 2.0 से 2.9 तीव्रता वाले भूकंप को माइनर कैटेगरी में रखा जाता है। ऐसे 1000 भूकंप प्रतिदिन आते हैं।
सामान्य तौर पर हम इसे भी महसूस नहीं करते। वेरी लाइट कैटेगरी में 3.0 से 3.9 तीव्रता वाले भूकंप होते हैं, जो एक साल में 49000 बार दर्ज किए जाते हैं। लाइट कैटेगरी के भूकंप 4.0 से 4.9 तीव्रता वाले होते हैं। वहीं इससे अधिक की तीव्रता वाले भूकंप में काफी जान-माल के नुकसान का भय रहता है। ज्ञात रहे कि अभी हाल ही में अफगानिस्तान में 7.4 तीव्रता वाला भूकंप आया था जिस कारण सैकड़ों जिंदगिया खत्म हो गई थी।