18वीं लोकसभा(Lok Sabha) का दूसरा सत्र 25 जून को जारी रहा और लोकसभा स्पीकर(Speaker) को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच टकराव(conflict) बढ़ गया है। एनडीए ने ओम बिरला को अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ब्लॉक ने भी अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया है। पहली बार ऐसा हो रहा है कि स्पीकर पद के लिए चुनाव होगा। स्पीकर पद के लिए वोटिंग 26 जून को सुबह 11 बजे होगी।
एनडीए की ओर से ओम बिरला के पक्ष में 10 सेट में नामांकन दाखिल किया गया। इस मौके पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और एनडीए के अन्य नेता मौजूद थे। वहीं, विपक्ष की ओर से कांग्रेस सांसद के. सुरेश ने ओम बिरला के खिलाफ 3 सेट में नामांकन दाखिल किया। नामांकन से पहले राहुल गांधी ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष को स्पीकर के समर्थन के लिए राजनाथ सिंह का फोन आया था। विपक्ष ने कहा कि वे स्पीकर का समर्थन करेंगे, बशर्ते डिप्टी स्पीकर का पद उन्हें मिले।
हालांकि राजनाथ सिंह ने दोबारा फोन करने की बात कही थी, हालांकि अब तक कॉल नहीं आया। राजनाथ सिंह ने संसद के बाहर मीडिया से कहा कि मैंने स्पीकर पद के समर्थन के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से तीन बार फोन पर बातचीत की है। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल और DMK के टी आर बालू राजनाथ से मिले, लेकिन डिप्टी स्पीकर पर जवाब नहीं मिलने के बाद उनके ऑफिस से लौट आए। सिंह के अलावा अमित शाह और जेपी नड्डा ने भी विपक्ष को मनाने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
कांग्रेस पर शर्तें रखने का लगाया आरोप
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और ललन सिंह ने कांग्रेस पर शर्तें रखने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार डिप्टी स्पीकर के चुनाव के समय विपक्ष की मांग पर चर्चा करने को तैयार है। NDA की ओर से ओम बिरला दोबारा स्पीकर पद के कैंडिडेट हैं। राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिरला 2019 से 2024 तक स्पीकर रह चुके हैं। वे जीतते हैं तो भाजपा के पहले ऐसे सांसद होंगे, जो लगातार दूसरी बार लोकसभा स्पीकर का पद संभालेंगे। अगर वे अपना कार्यकाल पूरा कर लेते हैं तो कांग्रेस के बलराम जाखड़ के रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे।
दो सांसदों को स्पीकर और डिप्टी स्पीकर
दरअसल, बलराम जाखड़ 1980 से 1985 और 1985 से 1989 तक लगातार दो बार लोकसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने अपने दोनों कार्यकाल पूरे किए थे। इनके अलावा जीएमसी बालयोगी और पीए संगमा जैसे नेता दो बार लोकसभा अध्यक्ष तो बने, लेकिन 5-5 साल के कार्यकाल पूरे नहीं कर पाए। लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव संविधान के अनुच्छेद 93 के मुताबिक किया जाता है। सांसद, सदन के दो सांसदों को स्पीकर और डिप्टी स्पीकर चुनते है।
साधारण बहुमत के जरिए चुनाव
लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव से एक दिन पहले सदस्यों को उम्मीदवारों को समर्थन का नोटिस जमा करना होता है। लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव साधारण बहुमत के जरिए होता है। यानी जिस उम्मीदवार को उस दिन लोकसभा में मौजूद आधे से ज्यादा सांसद वोट देते हैं, वह लोकसभा अध्यक्ष बनता है। 17वीं लोकसभा के दौरान डिप्टी स्पीकर का पद पूरे कार्यकाल में खाली रहा था। 18वीं लोकसभा के लिए पहले विपक्ष ने डिप्टी स्पीकर पद की मांग की थी, लेकिन बाद में स्पीकर पद के लिए भी उम्मीदवार उतार दिया।