चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 9-10 सितंबर को नई दिल्ली में होने वाले शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे। चीन की ओर से आधिकारिक तौर पर भारत को यह जानकारी दे दी गई है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग G-20 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे। हालांकि चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रधानमंत्री ली कियांग और विदेश मंत्री वांग यी कर सकते हैं। इससे पहले G-20 के विशेष सचिव मुक्तेश परदेशी का कहना था कि भारत शिखर सम्मेलन में शी जिनपिंग के शामिल होने के लिए चीन से लिखित पुष्टि का इंतजार किया जा रहा है।
बता दें कि यह पहला मौका है जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग G-20 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हो रहे हैं। इस बीच खुलासा हो रहा है कि शी जिनपिंग के भारत न आने के पीछे एक महत्वपूर्ण वजह छिपी हुई है। वहीं जिनपिंग इस वर्ष हो रहे G-20 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होने वाले दूसरे नेता है। उनसे पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी टेलीफोन पर बातचीत कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा था कि वह भारत शिखर सम्मेलन में भाग लेने में असमर्थ होंगे। उनकी जगह रूस का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की ओर से किया जाएगा।
पीएम मोदी ने भारत-चीन बॉर्डर पर चल रही गहमा-गहमी से कराया था अवगत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आखिरी मुलाकात दक्षिण अफ्रीका में BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। भारत के विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा के अनुसार उस समय प्रधानमंत्री मोदी ने शी जिनपिंग को भारत-चीन बॉर्डर पर चल रही गहमा-गहमी को लेकर भारत की चिंताओं से अवगत कराया था। वहीं बैठक के बाद चीनी विदेश मंत्रालय का कहना था कि राष्ट्रपति जिनपिंग ने इस बात पर जोर दिया कि चीन-भारत संबंधों में सुधार दोनों देशों और लोगों के साझा हितों को पूरा करता है। बता दें कि मई 2020 में गलवान में हुई झड़प के बाद प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की यह दूसरी मुलाकात थी।
जिनपिंग का सम्मेलन में शामिल न होना दे रहा संकेत
कई विशेषज्ञों का कहना है कि शी जिनपिंग का G-20 शिखर सम्मेलन में शामिल न होने वाला निर्णय एक संकेत दे रहा है कि चीन भारत के साथ सीमा विवादों को निपटाना नहीं चाहता है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने का कहना था कि उन्हें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के G-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने की उम्मीद है।