रोहतक की झंग कॉलोनी में रहने वाले कमांडर इंद्र सिंह का 100 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। बताया जा रहा है कि उनके द्वारा 4 अक्टूबर को अपना 100वां जन्मदिन मनाया गया था, लेकिन तबीयत खराब होने पर उन्हें रोहतक के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था और जहां पर उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की सूचना मिलते ही नेवी के अधिकारी व अन्य लोग भी पहुंचे और उन्हें नमन किया। उन्होंने साल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तानी पनडुब्बी गाजी को नष्ट किया था। इसके लिए उन्हें बाद में वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा भी उन्होंने भारतीय सेना में रहते हुए अनेक सराहनीय कार्य किए।
जानकारी देते हुए कमांडर इंद्र सिंह के दामाद और भारतीय नेवी से रिटायर्ड नसीब सिंह ने बताया कि इंद्र सिंह ने 1945 में इंडियन नेवी ज्वाईन की थी, उस समय इंडियन नेवी का नाम ब्रिटिश नेवी था। उन्होंने सेलर के रूप में काम किया था। द्वितीय विश्वयुद्ध में उनके जहाज ने ब्रिटिश कॉन्वे को एस्कॉर्ट करते थे। जिसके बाद उनका दूसरे जहाज में ट्रांसफर मलाका स्टेट में किया गया। इसके बाद इराक में ट्रांसफर हो गया था, उस दौरान वे सेकेंड कमांड थे। कमांडर इंद्र सिंह की ब्रांच शिप हेंडलिंग ब्रांच थी।
सी-ट्रेनिंग के दौरान हो गया था पाक-भारत युद्व का आगाज
उन्होंने बताया कि वे विशाखापट्टनम में जो ट्रेनिंग होती है, उसके बेस कमांडर थे। इसके बाद आईएनएस राजपुत को डी-कमीशन करने का प्लान चल रहा था, लेकिन सी-ट्रेनिंग के लिए आईएनएस राजपुत पर समुद्र में लेकर गए थे। इसी दौरान पाकिस्तान-भारत युद्ध का आगाज हो गया। वहीं युद्ध में शामिल होने के लिए आदेश दिए गए। आईएनएस राजपुत की कमांड इंद्रसिंह कर रहे थे। इंडियन नेवी को लगा कि पाकिस्तान का पहला हमला विक्रांत के ऊपर होगा, क्योंकि विक्रांत नेवी का इकलौता एयरक्राफ्ट कैरियर था। अगर पाकिस्तान विक्रांत को डुबो देता है, तो उसकी यह बड़ी जीत होगी, इसलिए विक्रांत को छुपा दिया और उसे बचाने के लिए आईएनएस राजपुत को विक्रांत का रोल अदा करने के लिए कहा गया।
सुसाइड मिशन कहकर भेजा गया था मिशन पर
साथ ही कम्युनिकेशन भी विक्रांत के नाम से ही भेजे गए। वहीं पाकिस्तान ने अमेरिकन पनडुब्बी गाजी को बंगाल की खाड़ी के लिए रवाना कर दिया था। इसकी सूचना इंडियन नेवी को भी लग चुकी थी। आदेश मिलने के बाद आईएनएस राजपुत के पास समुद्र में नीचे कुछ हलचल दिखाई दी। जिसके बाद उन्होंने अंडर वाटर बम (डेथ चार्ज) पानी में गिरा दिए। उनके फटने के बाद पाकिस्तानी पनडुब्बी तबाह हो गई। जब सुबह पाकिस्तानी सैनिकों के शव तैरते दिखे तो पता चला कि गाजी नष्ट हो गई। सुसाइड मिशन कहकर कमांडर इंद्र सिंह को इस मिशन पर भेजा गया था, लेकिन उन्होंने अधिकारियों को आश्वासन दिया कि वे जरूर वापस लौटेंगे। इसके बाद इंद्र सिंह को वीर चक्र से भी नवाजा गया।