- पहलगाम में आतंकवादी हमले के दौरान हिंदू प्रोफेसर ने जान बचाने के लिए कलमा पढ़ा
- प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य और उनका परिवार आतंकियों से बचकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचे
- 27 लोग आतंकवादी हमले में मारे गए, और सुरक्षा बलों ने हमलावरों का पता लगाने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया
Pahalgam attack,: 22 अप्रैल 2025 को दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में असम विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य और उनका परिवार भी आतंकियों के निशाने पर था। इस हमले में 27 लोग मारे गए, लेकिन प्रोफेसर भट्टाचार्य और उनके परिवार ने एक अनोखे तरीके से अपनी जान बचाई।
भट्टाचार्य ने एक निजी चैनल को बताया कि वह और उनका परिवार बैसरन क्षेत्र में एक पेड़ के नीचे सो रहे थे, तभी उन्होंने आतंकवादियों की फुसफुसाहट सुनी और कलमा पढ़ते लोगों की आवाज़ें सुनकर उन्होंने भी कलमा पढ़ना शुरू कर दिया। कुछ ही देर बाद, एक आतंकवादी उनके पास आया और बगल में लेटे व्यक्ति को गोली मार दी। इसके बावजूद, भट्टाचार्य ने कलमा पढ़ने को जारी रखा और आतंकवादी बिना कोई हमला किए वहां से चला गया।
इसके बाद, भट्टाचार्य और उनका परिवार मौके का फायदा उठाकर चुपचाप बाड़ की ओर भागे। उन्होंने घोड़े के खुरों के निशानों का पालन करते हुए लगभग दो घंटे बाद एक घुड़सवार से मदद ली और सुरक्षित रूप से अपने होटल पहुंच गए। भट्टाचार्य ने कहा, “मैं अभी भी विश्वास नहीं कर पा रहा हूँ कि मैं जीवित हूं।”
इस हमले में आतंकवादियों ने स्नाइपर राइफलों से गोलीबारी की और कई पर्यटकों को मारा। भारतीय सेना और सुरक्षा बलों ने हमलावरों का पता लगाने के लिए सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है और जम्मू-कश्मीर में हाई अलर्ट जारी किया गया है।