● हिसार से अयोध्या के लिए उड़ान 14 अप्रैल से शुरू, प्रधानमंत्री देंगे हरी झंडी
● 2 घंटे में पहुंचेगा विमान, किराया 3 से 4 हजार तक संभावित
● CISF को सौंपी गई एयरपोर्ट सुरक्षा, नाइट लैंडिंग की सुविधा नहीं
Hisar Airport: हरियाणा के हिसार एयरपोर्ट से अयोध्या के लिए सीधी विमान सेवा का शेड्यूल जारी कर दिया गया है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा स्वीकृत इस शेड्यूल के अनुसार, 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस ऐतिहासिक उड़ान को हरी झंडी दिखाएंगे। यह 72 सीटों वाला विमान सुबह 10:40 बजे हिसार से उड़ान भरेगा और दो घंटे बाद 12:40 बजे अयोध्या पहुंचेगा। इस सेवा के माध्यम से हिसार सीधे अयोध्या और दिल्ली से जुड़ जाएगा।
दिल्ली से उड़कर यह विमान पहले हिसार आएगा और वहां से अयोध्या के लिए रवाना होगा। आने वाले समय में जयपुर, जम्मू, अहमदाबाद और चंडीगढ़ के लिए भी उड़ानों का समय निर्धारित किया जाएगा। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के चेयरमैन विपिन कुमार ने प्रधानमंत्री के दौरे से पहले एयरपोर्ट की तैयारियों का निरीक्षण किया और सुरक्षा सहित संचालन से जुड़ी सभी व्यवस्थाओं की जानकारी ली।
हिसार से अयोध्या जाने वाली फ्लाइट का किराया लगभग 3 से 4 हजार रुपए के बीच रहने की संभावना है, जो रियायती दरों पर उपलब्ध होगा। इसके लिए राज्य सरकार और एयरलाइंस के बीच एमओयू हो चुका है। एलायंस एयर एविएशन लिमिटेड ने एयरपोर्ट पर अपना ऑफिस खोलने का कार्य शुरू कर दिया है और जल्द ही ऑनलाइन टिकट बुकिंग भी शुरू हो जाएगी।
फिलहाल एयरपोर्ट पर नाइट लैंडिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण शाम 6:30 बजे के बाद कोई भी फ्लाइट संचालित नहीं होगी। सभी उड़ानें दिन में ही चलाई जाएंगी। 28 मार्च को एयरपोर्ट पर किए गए ट्रायल को पूरी तरह सफल बताया गया है, जब 70 सीटर विमान ने रनवे पर सुरक्षित लैंडिंग की थी और एयरपोर्ट पर वॉटर सैल्यूट के साथ उसका स्वागत किया गया था। इसके बाद विमान ने उड़ान भरकर एयरस्पेस में कई चक्कर लगाए और दो घंटे के बाद वापस दिल्ली लौट गया।
एयरपोर्ट की सुरक्षा फिलहाल हरियाणा पुलिस की थर्ड बटालियन के 300 जवानों के हवाले है, लेकिन जल्द ही इसकी जिम्मेदारी केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को सौंप दी जाएगी। इसके अलावा एयरपोर्ट की बाउंड्री में घुस आए वन्य प्राणियों को पकड़ने का अभियान भी पूरा कर लिया गया है। वन विभाग की टीम ने नीलगाय, गीदड़, जंगली सुअर और कुत्तों को सुरक्षित तरीके से जंगलों में छोड़ दिया है। यह सुनिश्चित किया गया है कि भविष्य में विमान संचालन में किसी तरह की बाधा न आए।

	