Congress leader and boxer Vijendra Singh

अगर ऐसा किसी की मां-बहन और बेटी के साथ होता तो भी चुप रहते? Vijendra Singh का Sakshi Malik के प्रति फूटा दर्द, बोलें आवाज उठाने पर थमा दिए जाते हैं Resignation Letter

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देश की ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक के कुश्ती के सन्यास के बाद कांग्रेस नेता एवं बॉक्सर विजेंद्र सिंह ने कहा कि एक खिलाड़ी होने के नाते मैं महिला पहलवान का दर्द समझ सकता हूं। कल का दिन हिंदुस्तान के इतिहास में एक काला दिन था। जब एक महिला खिलाड़ी को यौन उत्पीड़न जैसे मामले में न्याय नहीं मिलता तो वह सन्यास ले लेती हैं। ऐसा तंग, दुखी और परेशान होकर करना पड़ता है। विजेंद्र सिंह ने सवाल करते हुए कहा कि अगर ऐसा किसी की मां-बहन और बेटी के साथ हुआ होता तो क्या तब भी आप ऐसे ही चुप रहते। क्या मोदी सरकार भी ऐसी ही चुप रहती।

कांग्रेस नेता एवं बॉक्सर विजेंद्र सिंह शुक्रवार को दिल्ली में कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के साथ पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने मोदी सरकार और अपने दबदबे का नारा लगाने वाले बृजभूषण शरण सिंह को भी आड़े हाथों लेते हुए जमकर तंज कसा। बिजेंद्र सिंह ने कहा कि जब एक ओलंपिक मैडलिस्ट के साथ इस तरह का व्यवहार किया जा रहा है तो आमजन के साथ क्या होगा। बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि साक्षी मलिक ने किन परिस्थितियों में सन्यास लिया। विनेश फोगाट परिवार के साथ प्रधानमंत्री से मिल चुकी है, लेकिन फिर भी न्याय की कहीं किरण नहीं दिखाई दी। हम इस विषय को लेकर हर खिलाड़ी, हर स्टेडियम और हर अखाड़े में जाएंगे। मैं आज भी यहीं कहूंगा कि हम महिला खिलाड़ियों के साथ पहले भी खड़े थे, अब भी खड़े हैं और आगे भी खड़े रहेंगे।

अन्य खिलाड़ियों के आवाज नहीं उठाने का मुख्य कारण डर, देश में राजनीति, बॉलीवुड और क्रिकेट का दबदबा

किसी अन्य खिलाड़ी के इस मुद्दे पर आवाज नहीं उठाने के सवाल पर बिजेंद्र सिंह ने कहा कि इसका एक कारण यह भी है कि अधिकतर खिलाड़ी सरकारी नौकरियों पर हैं, जो हरियाणा, उत्तरप्रदेश और राजस्थान से संबंध रखते हैं। इन तीनों जगहों पर भाजपा की सरकार है, जबकि अधिकतर खिलाड़ी मध्य और निम्न परिवारों से संबंध रखने वाले हैं। काफी संघर्ष करने के बाद ओलंपिक स्तर तक पहुंचते हैं। फिर आवाज उठाने वालों को रिजाइन लेटर हाथों में थमा दिए जाते हैं। खिलाड़ी दबी आवाज में बोल भी नहीं पाते हैं। डर ही इसका मुख्य कारण है।

पत्रकारों के खिलाड़ियों के समर्थन वाले सवाल पर विजेंद्र सिंह ने कहा कि हमारे देश में राजनीति, बॉलीवुड और क्रिकेट का काफी दबदबा है। इनमें काम करने वाले लोग कभी खुलकर अंदर की बात नहीं करेंगे। यही कारण है कि अवॉर्ड और राज्यसभा ऐसे ही लोगों को मिलते हैं, लेकिन यह देश का दुर्भाग्य है।  

रणदीप सुरजेवाला 1

आरोप : राजनीतिक दबदबे और पैसे के खेल से चल रहे खेल संघ

पत्रकारों के सवाल पर कांग्रेस प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाते हुए कहा कि खेल संघ राजनीतिक दबदबे और पैसे के खेल से चल रहे हैं। यह कड़वा सत्य है, यह सभी जानते हैं। जिसकी लाठी, उसकी भैंस। उन्होंने कहा कि जब तक आप खेल संघों को जिसकी लाठी, उसकी भैंस के आधार पर चलाते रहेंगे तो ओलंपिक मैडलिस्ट सिर्फ उंगलियों पर गिने जाएंगे। वो भी 140 करोड़ लोगों के देश में जो कि सबसे बड़ी जनसंख्या का देश है।

सुरजेवाला ने कहा कि जिस दिन खेल संघों में ईमानदार खिलाड़ी और खेल के चाहने वाले लोग उनके मुखिया होंगे तो परिस्थितयां अपने आप बदल जाएंगी। रणदीप सुरजेवाला ने कहावत का उदाहरण देते भाजपा पर तंज कसा कि घर की बही, काका लिखणियां, मैंने किसी संदर्भ में इसका संसद में भी जिक्र किया था। अंधा बांटे सिरणी, मुड़-मुड़ अपणों को दे, यह हिंदी की कहावत है। चिट भी उनकी और पट भी उनकी। यह तीन कहावतें खेल संघों के चयन, चुनाव और उसकी राजनीति को दर्शाती हैं।

पहलवान बेटी की आंख से निकला हर आंसू मोदी सरकार की बेशर्मी का प्रमाण

रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि पहलवान बेटियों के यौन शोषण के आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह के चुनाव के बाद कुश्ती में ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी साक्षी मलिक ने खेल से सन्यास की घोषणा कर दी, जो भारत के खेल इतिहास में काला अध्याय है। अब लोग और देश क्या कह रहा है। बृजभूषण का तंत्र और मोदी सरकार का सहयोगी मंत्र ये बना बेटियों के साथ न्याय से षड़यंत्र है। किसान की पहलवान बेटी की आंख से निकला हर आंसू मोदी सरकार की बेशर्मी का प्रमाण है। अब भाजपा का नारा है बेटी रूलाओ, बेटी सताओ और बेटियों को घर बैठाओ।

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि खिलाड़ियों के आंसू, बेटियों की बेबसी और खेलों से खिलवाड़ पर संसद व सरकार हर मौन धारण किए हुए है। उन्होंने कहा कि इन चैंपियन महिला पहलवानों, किसानों और देश की बेटियों के साथ अन्याय के लिए सीधे-सीधे मोदी सरकार दोषी है। इससे जाहिर होता है कि न्याय की गुहार लगाने वाली हर बेटी को मजबूर करके घर भेज दिया जाएगा। उधर दोषी सत्ता की शहतीर से कहकहे लगाएंगे और बेटियों की बेबसी और लाचारी का मजाक उड़ाएंगे।

प्रेस

मोदी सरकार ने साबित किया कि देश में गुण, शिक्षा और काबिलियत की जगह नहीं

कांग्रेस नेता ने कहा कि शायद इसीलिए यौन शोषण के आरोपी और भाजपा के चहेते सांसद बृजभूषण ने कल भारतीय कुश्ती संघ के नतीजों के बाद कहा कि दबदबा था और दबदबा रहेगा। यहीं नहीं न्याय की गुहार लगाती बेटियों को चिड़ाते व नकारते हुए बृजभूषण सिंह ने कहा कि जो राजनीति करना चाहते हैं, वो करें। मोदी सरकार ने इसलिए यह साबित कर दिया है कि अब इस देश में गुण, शिक्षा और काबिलियत की जगह नहीं है। जगह है तो राजनीति दबदबे की।

सरकार ने न्याय देने की बजाय बेटियों को जूतों से कुचलवाया और सड़कों पर घिसटवाया

कांग्रेस नेता ने कहा कि यह देश का दुर्भाग्य है कि हरियाणा रोहतक के मोखरा गांव में जन्मी एक साधारण किसान परिवार की बेटी, जिसने देश को ओलंपिक में पहला मेडल दिलाने वाली पहलवान बनीं। आज उसे मोदी सरकार के दबदबे ने घर जाने पर मजबूर कर दिया है। उन्होंने कहा कि देश की पहलवान बेटियां अपने न्याय के लिए 39 दिन तक जंतर-मंतर पर बैठकर देश की संसद पर दस्तक देती रहीं। सिसकी और रोती रही, न्याय की गुहार लगाती रही।

प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और खेल मंत्री ने उन्हें न्याय देने की बजाय भाजपा की दिल्ली पुलिस के जूतों से कुचलवाया और सड़कों पर घसीटवाया। रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि यह हाल तब था, जब महिला पहलवानों ने अपने न्याय की गुहार स्वयं प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और खेल मंत्री से लगाई थी। आखिर में उन्हें सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा। जिसके बाद केवल एफआईआर तो दर्ज हुई, लेकिन दोषी भाजपा के सांसद को आज तक गिरफतार नहीं किया गया। वह खुला घूमता रहा।

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कुश्ती संघ ही नहीं, बल्कि बीसीसीआई सहित सभी खेलों के संघों पर भाजपा का कब्जा

रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि इससे बड़ी राष्ट्रीय शर्म की बात क्या होगी कि जब हमारी बेटियों को अपने मैडल गंगा मैया में बहाने पड़े। कारण इतना कि बृजभूषण को मोदी सरकार का संरक्षण प्राप्त है। ये केवल भारतीय कुश्ती संघ नहीं, बल्कि बीसीसीआई सहित सभी खेलों के संघों पर भाजपा का कब्जा है। उन्होंने कहा कि एक तरफ मोदी कहते हैं कि खेल संघों को राजनीतिक हस्तक्षेप से छुट्टी दिलवा दी, लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है।

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या मोदी सरकार को इस देश में एक भी महिला खिलाड़ी पहलवान नहीं मिली या कोई ऐसा सज्जन व्यक्ति नहीं मिला, जो भारतीय कुश्ती संघ का अध्यक्ष बन सकता था। अगर यही हाल रहा तो देश की बेटियां और उनके अभिभावक किस पर विश्वास कर अपनी बेटियों को खेलने के लिए भेजेंगे। यह अत्याचार केवल साक्षी मलिक और विनेश फोगाट के साथ नहीं, विजेंद्र सिंह और काबिल खिलाड़ियों के साथ नहीं, बल्कि इस अत्याचार ने देश की करोड़ों बेटियों की उम्मीद को तोड़कर रख दिया है। इसके लिए सीधे तौर पर मोदी सरकार जिम्मेवार है।

आज बेटियों का एक सवाल, देश चुप क्यों है : रणदीप सुरजेवाला

देश के बेटियों के यह भी सवाल हैं कि मोदी सरकार चुप क्यों है, देश की संसद किसान की पहलवान बेटियों के अपमान पर चुप क्यों है। देश की राष्ट्रपति जो खुद एक महिला हैं, देश के राज्यसभा और लोकसभा के सभापति एक शब्द क्यों नहीं बोल रही हैं। देश का खेल जगत और उसकी नामी हस्तियां चुप क्यों हैं। क्या मान लिया जाए कि इस देश में दबदबा, डर, भय और अन्याय ही न्यू इंडिया का नोमन है।

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