Jain Muni Acharya Vidyasagar Maharaj : जैन समाज के लिए रविवार 18 फरवरी की सुबह एक अशुभ समाचार लेकर आई है। जैन समाज के दिसंबर मुनि परंपरा के आचार्य विद्यासागर महाराज ने 17 फरवरी की देर रात करीब 2:35 बजे अपने शरीर का त्याग कर दिया। जैन मुनि संत आचार्य विद्यासागर महाराज ने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में स्थित चंद्रगिरी तीर्थ में अपना शरीर त्यागा है। जैसे ही जैन समाज के लोगों को इस बात की सूचना मिली तो सभी चंद्रगिरी तीर्थ में जुटना शुरू हो गए।
बताया जा रहा है कि रविवार को दोपहर 1 बजे उनकी अंतिम संस्कार विधि होगी। बता दें कि नवंबर 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं यहां पहुंचकर संत आचार्य विद्यासागर महाराज का आशीर्वाद लिया था। गौरतलब है कि जैन मुनि संत आचार्य विद्यासागर महाराज ब्रम्हलीन हो गए हैं। जैन मुनि ने शनिवार देर रात 2:35 बजे समाधि (देह त्याग दी) ले ली है। छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ पर उन्होंने अंतिम सांस ली। आचार्य विद्यासागर महाराज के देह त्यागने से देशभर में शोक की लहर है। जैन मुनि के शरीर त्यागने की सूचना मिलने के बाद जैन समाज के लोगों का चंद्रगिरी तीर्थ पर जुटना शुरू हो गया है। आज दोपहर 1 बजे विद्यासागर महाराज का अंतिम संस्कार होगा।

बता दें कि पिछले वर्ष 5 नवंबर 2023 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब छत्तीसगढ़ आए तो इस दौरान उन्होंने जैन मुनि आचार्य विद्यासागर से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने चंद्रगिरी तीर्थ पर जाकर आचार्य विद्यासागर से मुलाकात की थी।

3 दिन पहले कर दिया था आचार्य पद का त्याग
बताया जा रहा है कि संत आचार्य विद्यासागर महाराज ने शरीर त्यागने से 3 दिन पहले ही आचार्य पद का त्याग कर दिया था। उन्होंने 3 दिन का उपवास धारण कर अखंड मौन ले लिया था। जिसके बाद उन्होंने प्राण त्याग दिए। इससे पहले 6 फरवरी को संत आचार्य विद्यासागर महाराज ने निर्यापक श्रमण मुनि योग सागर से बात की और संघ से संबंधित कार्यों से निवृत्ति ले ली थी। उसी दिन आचार्य पद का त्याग कर दिया था।

भाई-बहनों सहित 500 से अधिक जैन संतों को दी दीक्षा
बताया जाता है कि जैन मुनि संत आचार्य विद्यासागर महाराज ने उनके भाई-बहनों सहित करीब 500 से ज्यादा जैन संतों को दीक्षा दी है। जानकारी अनुसार आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म 10 अक्तूबर 1946 को कर्नाटक के बेलगांव के गांव सद्लगा में हुआ था। विशेष बात यह है कि उस दिन शरद पूर्णिमा जैसी पवित्र तिथि थी। आचार्य द्वारा दीक्षा लेने वालों में उनके भाई मुनि समय सागर, मुनि योग सागर और बहनें शांता व सुवर्णा शामिल हैं।

बताया जाता है कि आचार्य ने अपने जीवन की पहली दीक्षा छतरपुर के द्रोणगिरी तीर्थ में 8 मार्च 1980 को मुनि समय सागर महाराज को दी थी। इसके बाद जैन मुनि ने अनेक बार जैन संतों को दीक्षा दी और धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। संत आचार्य विद्यासागर महाराज देश के एकमात्र ऐसे जैन मुनि थे, जिन्होंने अब तक 505 मुनि, आर्यिका, ऐलक, क्षुल्लक दीक्षा दी। उन्होंने अपने जीवन में अंतिम बार उत्तरप्रदेश के ललितपुर में 28 नवंबर 2018 को दीक्षा दी थी।

हजारों शिष्य डोंगरगढ़ के लिए रवाना, आज समाज के लोग देशभर में बंद रखेंगे दुकानें
बताया जा रहा है कि समाधि के समय आचार्य विद्यासागर महाराज के पास मुनि योगसागर महाराज, समतासागर महाराज, प्रसादसागर महाराज संघ सहित मौजूद थे। देशभर के जैन समाज और आचार्य के भक्तों ने उनके सम्मान में आज एक दिन अपने प्रतिष्ठान बंद रखने का फैसला किया है। आचार्य विद्यासागर महाराज के समाधि लेने पर देशभर में जैन समाज के लोग अपनी-अपनी दुकानें बंद रखेंगे। वहीं सूचना मिलते ही आचार्य विद्यासागर के हजारों शिष्य डोंगरगढ़ के लिए रवाना हो गए हैं।

गुरु आचार्य ज्ञानसागर ने कठोर तपस्या देख सौंपा था आचार्य पद
इससे पहले जैन मुनि संत आचार्य विद्यासागर महाराज ने 30 जून 1968 को राजस्थान के अजमेर नगर में अपने गुरु आचार्य ज्ञानसागर महाराज से मुनिदीक्षा ली थी। आचार्य ज्ञानसागर महाराज ने उनकी कठोर तपस्या को देखते हुए उन्हें अपना आचार्य पद सौंपा था। इसके बाद आचार्य विद्यासागर वर्ष 1975 के आसपास बुंदेलखंड आए थे। वह बुंदेलखंड के जैन समाज की भक्ति और समर्पण से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना अधिकांश समय बुंदेलखंड में व्यतीत किया। जैन मुनि के शिष्य पूरे देश में विहारकर जैन धर्म की प्रभावना कर रहे हैं।