पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति Jimmy Carter का रविवार को 100 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनका निधन न केवल अमेरिका, बल्कि हरियाणा के इस के लिए भी एक बड़े सदमे की तरह है, क्योंकि यह गांव उनके नाम पर रखा गया था।
गांव का नाम क्यों पड़ा ‘कार्टरपुरी’?
हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित गांव कार्टरपुरी जो पहले दौलतपुर नसीराबाद के नाम से जाना जाता था, लेकिन जिमी कार्टर और उनके परिवार के इस गांव से खास रिश्ते के कारण 1978 में इसका नाम बदलकर ‘कार्टरपुरी’ कर दिया गया। जिमी कार्टर राष्ट्रपति रहते हुए अपनी पत्नी रोजलिन और मां के साथ 3 जनवरी, 1978 को इस गांव आए थे। इस दौरान उन्हें हरियाणवी पोशाक भेंट की गई, जिसे उन्होंने खुशी-खुशी पहन लिया।
जिमी कार्टर का गांव से खास रिश्ता
कार्टर की मां लिलियन ने 1960 के दशक के अंत में पीस कॉर्प्स के स्वास्थ्य स्वयंसेवक के रूप में इस गांव में काम किया था, और यही कारण था कि जिमी कार्टर ने भारत दौरे के दौरान दौलतपुर नसीराबाद को अपनी यात्रा के लिए चुना। इस यात्रा के बाद गांव के लोगों ने अपने गांव का नाम बदलकर ‘कार्टरपुरी’ रख लिया।
भारत दौरे का ऐतिहासिक पल
जिमी कार्टर ने 1978 में भारत दौरे के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के साथ दिल्ली में एक महत्वपूर्ण घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे, जो दोनों देशों के रिश्तों के लिए मील का पत्थर साबित हुआ था।
कार्टर के योगदान की यादें
2002 में, जिमी कार्टर को उनके समाज सेवा के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनके योगदान और उनके गांव से जुड़े रिश्ते हमेशा याद रखे जाएंगे। हर साल 3 जनवरी को कार्टरपुरी गांव में लोग छुट्टी मनाते हैं, ताकि वे इस महान नेता को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें।