किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से रविवार को kurukshetra के पिपली की अनाज मंडी में Kisan Mahapanchayat में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित अन्य राज्यों से भारी संख्या में पहुंचकर किसान व मजदूरों ने अपनी ताकत दिखाई।
farmers हाथों में झंडा उठाए किसान एकता मजदूर जिंदाबाद के नारों के बीच समूह बनाकर पहुंचे। बड़ी संख्या में महिलाएं भी Mahapanchayat में शामिल हुईं। इस मौके पर farmers नेताओं ने साफ किया कि यह किसान महापंचायत किसी राजनीतिक दल का चुनावी हिसाब बिगाडऩे के लिए नहीं की गई है और ना ही किसी कुर्सी के लिए की गई है।
यह पंचायत केवल भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और केंद्र सरकार को याद दिलाने और हरियाणा के वोटरों के लिए की गई है कि किसान एक साल तक लंबे चले आंदोलन को नहीं भूले हैं। किसान अपने 750 से अधिक किसानों की शहादत को न भूले हैं और न ही यह भूले हैं कि उनके ऊपर आंसू गैस और लाठियां बरसाई गई थी।
वक्ताओं ने सरकार को याद कराया कि farmer देश का अन्नदाता है और देश के खाद्यान्न को भरने का काम करता है, लेकिन सरकार ने अन्नदाता farmers के साथ जो बेइंसाफी की है उस बेइंसाफी को याद कराने के लिए उनको the Kisan Mahapanchayat करने के लिए मजबूर होना पड़ा। वोटरों को वोट डालते समय उपरोक्त घटनाएं याद रखनी होंगी।
किसान महापंचायत में पहुंचे सभी किसान नेताओं ने अपने संबोधन में सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार किसानों की परीक्षा ना ले। किसान किसी भी कीमत पर सरकार के आगे नहीं झुकेगा। किसान एमएसपी पर गारंटी और अन्नदाता किसान के ऊपर कर्ज माफी की जो उनकी मांग है उसको पूरा करवा करवाकर ही दम लेगा।
कई किसान नेताओं ने किसान आंदोलन के दौरान उन किसान नेताओं को भी याद किया जिन्होंने लाठी गोली खाकर आंदोलन को चलाया,जिसके चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीन काले कानून को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा ।
Kisan Mahapanchayat को कई महिला किसान नेताओं ने भी संबोधित किया और कहा कि वह घर की चौकी चूल्हा की रखवाली करने वाली नहीं है। बल्कि वह किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं और जब तक किसानों की मांगे नहीं मानी जाती वे farmers के साथ खड़ी मिलेंगी।
