महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के लिए चल रहा आंदोलन हिंसक हो गया है। सबसे प्रभावित जिला बीड में हिंसा और आगजनी की घटनाओं के बाद एहतियातन कर्फ्यू लगा दिया गया है। इसके साथ ही इंटरनेट सेवाएं भी बंद की गई हैं। वहीं जालना में पिछले 12 घंटों में तीन लोगों ने सुसाइड करने की कोशिश की। वहीं मराठाओं को आरक्षण देने के लिए सरकार अध्यादेश भी ला सकती है।
प्रदेश के मराठवाड़ा इलाके के 8 से ज्यादा जिले छत्रपति संभाजी नगर (औरंगाबाद), जालना, बीड, धाराशिव (उस्मानाबाद), लातूर, परभणी, हिंगोली और नांदेड़ में आरक्षण आंदोलन की आग फैल गया है। इनके अलावा पुणे, अहमद नगर में भी प्रदर्शन हो रहे हैं। आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं। बीड और माजलगांव के बाद मंगलवार को जालना के पंचायत बॉडी कार्यालय में आग लगा दी गई। इसके पहले उमरगा कस्बे के नजदीक तुरोरी गांव में भी सोमवार देर रात आगजनी हुई थी। तुरोरी में प्रदर्शनकारियों ने कर्नाटक डिपो की एक बस में आग लगा दी।

बीड शहर के बाद उस्मानाबाद में भी लगाया कर्फ्यू
इस आंदोलन से सबसे ज्यादा प्रभावित बीड शहर के बाद उस्मानाबाद में भी प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया है। बीड में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। वहीं जालना शहर में भी पिछले 12 घंटों में तीन लोगों ने सुसाइड करने की कोशिश की। यहां भी पिछले 13 दिनों से प्रदर्शन जारी है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सरकार विधानसभा का स्पेशल सेशन बुलाने पर विचार कर रही है। इसके लिए दोपहर तक कैबिनेट की बैठक हो सकती है। इसमें मराठाओं को आरक्षण देने के लिए अध्यादेश लाया जा सकता है।

बता दें कि प्रदेश में दो दिनों में राज्य परिवहन निगम की 13 बसों में तोड़फोड़ की गई है। इसके चलते 250 में से 30 डिपो बंद करने पड़े हैं। पथराव के बाद पुणे-बीड बस सेवा बंद कर दी गई है। सोमवार रात को करीब एक हजार लोग बीड डिपो में घुस गए और 60 से ज्यादा बसों में तोड़फोड़ की।

आंदोलन के नेता की 6 दिन से भूख हड़ताल, सीएम की मुलाकात के बाद पानी पीने पर राजी
मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जारंगे जालना के अंतरौली में 6 दिन से भूख हड़ताल पर हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार सुबह उनसे बात की है। इसके बाद वह सिर्फ पानी पीने के लिए राजी हो गए। बता दें कि मराठा आरक्षण आंदोलन इस साल अगस्त से चल रहा है। आरक्षण की मांग को लेकर पिछले 11 दिन में 13 लोग आत्महत्या कर चुके हैं। मनोज जारंगे का कहना है कि आधा आरक्षण नहीं, पूरा आरक्षण लिया जाएगा। मराठाओं को पूरे महाराष्ट्र में आरक्षण चाहिए न कि कुछ क्षेत्र में। कोई भी ताकत आ जाए, महाराष्ट्र के मराठा नहीं रुकेंगे। विधायकों और सांसदों को आरक्षण मिलने तक मुंबई में रहना चाहिए।
वहीं उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आज सुबह राज्यपाल रमेश बैस से राजभवन में मुलाकात की। इससे पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार रात राज भवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात की थी। बीड कलेक्टर दीपा मुधोल-मुंडेने का कहना है कि सोमवार देर रात हालात ठीक नहीं थे, लेकिन अब स्थिति नियंत्रण में हैं। सभी दुकानें और मार्केट बंद हैं।
जानकारी अनुसार कुछ मराठा परिवारों को ही आरक्षण मिलेगा। कमेटी ने अब तक 1.73 करोड़ दस्तावेजों की जांच की है। इनमें 11530 रिकॉर्ड में कुनबी जाति का जिक्र है। जिनके पास कुनबी के साक्ष्य होंगे, उन्हें तुरंत आरक्षण प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे। इस मुद्दे पर गठित सेवानिवृत्त जस्टिस संदीप शिंदे कमेटी मंगलवार को अपनी रिपोर्ट देगी। जिस पर कैबिनेट में चर्चा की जाएगी। वहीं अनशन पर बैठे मनोज जारंगे का कहना है कि आंशिक आरक्षण स्वीकार नहीं करेंगे। सबको आरक्षण मिले।

हिंसा में तीन विधायकों के घरों और कार्यालयों को बनाया निशाना
आरक्षण आंदोलन की हिंसा में तीन विधायकों के घरों और कार्यालयों को निशाना बनाया गया। आंदोलनकारियों ने 30 अक्तूबर को एनसीपी के दो विधायकों के घरों में आग लगा दी। बीड जिले के माजलगांव से एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके के बंगले में सुबह करीब 11 बजे घुसकर पथराव किया और आग लगा दी।

इसके बाद बीड में ही दोपहर बाद एनसीपी के एक और विधायक संदीप क्षीरसागर का घर जला दिया। हालांकि दोनों विधायक सुरक्षित हैं। वहीं प्रकाश सोलंके अजीत पवार गुट के हैं, क्षीरसागर शरद पवार गुट के हैं। बीड में ही आंदोलनकारियों ने नगर परिषद भवन और एनसीपी कार्यालय में भी आग लगाई। इस साल अगस्त से ही मराठा आरक्षण आंदोलन चल रहा है।
सांसदों और विधायक का समर्थन के बाद इस्तीफा
शिवसेना के दो सांसदों और भाजपा के एक विधायक ने मराठा आरक्षण आंदोलन का समर्थन किया है। इसी के साथ उन्होंने 29 अक्तूबर को इस्तीफा दे दिया। हिंगोली से सांसद हेमंत पाटिल और नासिक के सांसद हेमंत गोडसे ने इस्तीफा दिया है। वहीं गेवराई विधानसभा क्षेत्र के विधायक लक्ष्मण पवार ने भी अपना इस्तीफा दे दिया। कहा जा रहा है कि तीनों ने मराठा आरक्षण की मांग के समर्थन अपना इस्तीफा दिया है।

कौन हैं मराठा और क्या हैं मांगें ?
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनशन कर रहे मनोज जारंगे का कहना है कि मराठा और कुनबी एक ही हैं। संभाजी ब्रिगेड से जुड़े प्रवीण गायकवाड़ ने बताया था कि मराठा कोई जाति नहीं है। राष्ट्रगान में मराठा को भौगोलिक इकाई के तौर पर बताया गया है, जो लोग महाराष्ट्र में रहते हैं, वो मराठा हैं। वहीं रिटायर जस्टिस एसएन खत्री की अध्यक्षता वाले राज्य पिछड़ा आयोग ने 1 जून 2004 को मराठा-कुनबियों और कुनबी-मराठाओं को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने की मंजूरी दी थी।
मराठाओं में जमींदारों और किसानों के अलावा अन्य लोग भी शामिल हैं। मराठा आरक्षण को लेकर चल रहे आंदोलन की शुरुआत 1 सितंबर से हुई है। यह लोग मराठाओं के लिए ओबीसी का दर्जा मांग रहे हैं। इनका दावा है कि निजाम का शासन खत्म होने तक यानि सितंबर 1948 तक मराठाओं को कुनबी माना जाता था और यह ओबीसी थे, इसलिए फिर से इन्हें कुनबी जाति का दर्जा दिया जाए और ओबीसी में शामिल किया जाए।