मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के तहसील सिकराय में स्थित हनुमानजी का प्रसिद्ध मंदिर हैं। यह स्थान दो पहाड़ियों के बीच बसा हुआ बहुत आकर्षक दिखाई देता है। यहां तीन देवों की प्रधानता हैं, श्री बालाजी महाराज, श्री प्रेतराज सरकार और श्री भैरव कोतवाल।
यह तीन देव यहां आज से लगभग 1008 वर्ष पूर्व प्रकट हुए थे। जिनके प्रकट होने से लेकर अब तक बारह महंत इस स्थान पर पूजा कर चुके हैं। प्रारंभ में यहां घोर बीहड़ जंगल था। घनी झाड़ियों में द्रोर-चीते, बघेरा आदि जंगली जानवर पड़े रहते थे। कहा जाता हैं श्री बालाजी महाराज, श्री प्रेतराज सरकार और श्री भैरव कोतवाल मात्र दर्शन से ही संकट कट जाते हैं, इसलिए अब आए दिन भक्तों की मेहंदीपुर में भीड़ हनुमानजी के दर्शनों के लिए पहुंच रही हैं और भक्तों को विश्वास है कि उनके संकट अब मेहंदीपुर में ही कटने वाले हैं। यहां के उत्थान का युग गणेशपुरी महाराज के समय प्रारंभ हुआ और अब दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा हैं। प्रधान मंदिर का निर्माण इन्हीं के समय में हुआ। सभी धर्मशालाएं इन्हीं के समय में बनी। इस प्रकार इनका सेवाकाल श्रीबालाजी घाटा मेहंदीपुर के इतिहास का स्वर्ण युग कहलाएगा।

बाबा की आज्ञा के बिना नहीं होता प्रवेश
बता दें कि श्रीबालाजी दर्शन हेतु मेहंदीपुर जाने से एक सप्ताह पहले आपको मांस, अण्डा, शराब आदि तामसिक चीजों का त्याग करना चाहिए और सर्वप्रथम बालाजी महाराज के दर्शन से पूर्व प्रेतराज सरकार के दर्शन और प्रेतराज चालीसा का पाठा करना चाहिए। जिसके बाद बालाजी महाराज के दर्शन और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए और सबसे अंत में श्री भैरव कोतवाल के दर्शन करने के बाद भैरव चालीसा का पाठ करना चाहिए। मंदिर में किसी से कोई भी चीज न लें, यहां तक की प्रसाद भी नहीं लेना हैं और आते-जाते समय भूल से भी पीछे मुड़कर न देखें। आने और जाने की दरखास्त लगाकर जाएं, क्योंकि बाबा की आज्ञा से ही कोई मेहंदीपुर में आ और जा सकता हैं।

बुरी आत्माओं की लगती हैं पेशी
– बालाजी महाराज मेहंदीपुर के राजा और भगवान शिव के अवतार हैं। इनके समक्ष ही बुरी आत्माओं की पेशी लगती हैं। बालाजी महाराज को बेसन के लड्डुओं का भोग प्रिय है।
– भैरव बाबा बालाजी महाराज की सेना के सेनापति और भगवान शिव के ही अवतार हैं। इसी कारण इन्हें कोतवाल कप्तान भी कहा जाता हैं। इन्हें उड़द की दाल से बनी चीजों का भोग प्रिय हैं।
– प्रेतराज सरकार बालाजी महाराज के दरबार के दण्डनायक हैं। ये ही बुरी आत्माओं को दण्ड देने का अधिकार रखते हैं। इन्हें पके हुए चावलों और खीर का भोग लगता हैं।






