- हरियाणा के भिवानी निवासी बॉक्सर नमन तंवर ने थाईलैंड ओपन इंटरनेशनल टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीता, चाइना के बॉक्सर को 4-1 से दी मात
- कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में भी दिला चुके हैं इंडिया को पहला बॉक्सिंग पदक, चोट के बाद शानदार वापसी
- नमन उत्तरी रेलवे में सीनियर टीटीई, और भिवानी के द्रोणाचार्य अवार्डी कोच के शिष्य हैं, पढ़ाई के साथ खेल में भी बेमिसाल प्रदर्शन
Naman Tanwar boxing gold 2025: हरियाणा के भिवानी जिले के हालुवास गांव से ताल्लुक रखने वाले नमन तंवर ने थाईलैंड ओपन इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में भारत को गोल्ड मेडल दिलाकर एक बार फिर अपने जज़्बे और प्रतिभा का लोहा मनवाया है। नमन ने इस मुकाबले में चीन के खिलाड़ी को 4-1 से पराजित किया। यह जीत उनके करियर की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि बन गई है।
नमन तंवर ने साल 2012 में बॉक्सिंग की शुरुआत केवल खुद को फिट रखने के लिए की थी, लेकिन जल्द ही उन्हें इस खेल से लगाव हो गया। 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में नमन ने 91 किग्रा वर्ग में भारत को पहला बॉक्सिंग पदक (कांस्य) दिलाया था। सेमीफाइनल में हार के कारण वे गोल्ड से चूक गए थे, लेकिन 19 साल की उम्र में ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर दिया था।
हाल ही में नमन ने टोक्यो ओलंपिक क्वालिफायर के दौरान हुई कमर की गंभीर चोट से उबरने के बाद रिंग में दमदार वापसी की है। लगभग दो साल तक वो रिंग से दूर रहे, पर बरेली में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतकर उन्होंने वापसी का रास्ता साफ किया और अब थाईलैंड में गोल्ड हासिल कर लिया।
नमन तंवर द्रोणाचार्य अवार्डी कैप्टन हवासिंह श्योराण की एकेडमी में ट्रेनिंग करते हैं और वर्तमान में उत्तरी रेलवे में सीनियर टीटीई के रूप में आनंद विहार स्टेशन पर कार्यरत हैं। साथ ही वे MDU रोहतक से ग्रेजुएशन करने के बाद अब इंग्लिश ऑनर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं।
उनका पारिवारिक पृष्ठभूमि भी प्रेरणादायक है। उनके पिता सुंदर तंवर राष्ट्रपति के सुरक्षा दस्ते में शामिल रहे हैं, हालांकि पारिवारिक कारणों से उन्हें यह नौकरी छोड़नी पड़ी। उनके दादा श्रीलंका में शांति सेना के सदस्य रहते हुए शहीद हुए थे, जिसकी अनुकंपा के तहत परिवार को राज्य सरकार की ओर से क्लर्क की नौकरी मिली।

नमन की यह सफलता उनके संघर्ष, प्रतिभा और परिवार के समर्थन का परिणाम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी नमन की मुलाकात हो चुकी है, जो उनकी उपलब्धियों की मान्यता का प्रमाण है।