प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Modi) ने बताया कि कांग्रेस ने 1974 में भारत के रामेश्वरम के पास मौजूद कच्चाथीवू द्वीप को श्रीलंका(Sri Lanka) को सौंप दिया था। जिससे सभी भारतीय नाराज हैं और यह तय हो गया है कि कांग्रेस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। प्रधानमंत्री ने मामले पर एक आरटीआई रिपोर्ट का हवाला देते हुए सोशल मीडिया पर इस बात को उजागर किया।
बता दें कि आरटीआई रिपोर्ट में बताया गया है कि 1974 में इंदिरा गांधी की सरकार ने इस द्वीप को श्रीलंका को गिफ्ट कर दिया था। प्रधानमंत्री ने अपनी पोस्ट में कहा कि कांग्रेस पिछले 75 साल से भारत की एकता और अखंडता को कमजोर करने का काम करती आ रही है। आरटीआई रिपोर्ट के अनुसार इंदिरा गांधी ने तमिलनाडु में लोकसभा कैंपेन के दौरान इस समझौते को किया था। उन्होंने 1974 में इस द्वीप को श्रीलंका को गिफ्ट कर दिया था। इस समझौते में कुछ शर्तें भी रखी गईं थीं, जैसे कि भारतीय मछुआरे अपना जाल सुखाने के लिए इस द्वीप पर जा सकेंगे और द्वीप पर बने चर्च में भारतीय लोगों को बिना वीजा एंट्री मिलेगी।
मोदी ने संसद में भी कच्चाथीवू का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि ये विपक्ष के लोग जो सदन से बाहर गए हैं, उन्हें जरा पूछिए। ये कच्चाथीवू क्या और कहां है? वहीं कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि प्रधानमंत्री के साथ समस्या यह है कि वो बिना किसी आधार के बयान देते हैं। अगर ऐसा कोई एग्रीमेंट हुआ होता, तो हमें पता होता कि क्या हुआ था। कच्चाथीवू द्वीप 285 एकड़ में फैला है और रामेश्वरम से 19 किलोमीटर दूर है। यह द्वीप भारत के तमिलनाडु और श्रीलंका के बीच काफी बड़ा समुद्री क्षेत्र है। इस द्वीप पर हजारों भारतीय लोग हर साल फरवरी में आकर प्रार्थना करते हैं। इस चर्च को तमिलनाडु के एक तमिल कैथोलिक श्रीनिवास पदैयाची ने 110 साल पहले बनवाया था।
रिपोर्टस में दिए गए प्वाईंट
तमिलनाडु भाजपा चीफ के अन्नामलाई ने कच्चाथीवू के बारे में जानकारी को लेकर RTI दायर की थी। इसमें लिखा है कि साल 1974 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और श्रीलंका की राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके ने एक समझौता किया था। इसके तहत कच्चाथीवू द्वीप को श्रीलंका को औपचारिक रूप से सौंप दिया था।
इंदिरा ने तमिलनाडु में लोकसभा कैंपेन को देखते हुए यह समझौता किया था। 1974 में इंदिरा गांधी की सरकार ने इस द्वीप को श्रीलंका को गिफ्ट कर दिया था।
1974 में दोनों देशों के बीच दो बैठक हुई थी। पहली बैठक 26 जून को कोलंबो में और दूसरी 28 जून को दिल्ली में हुई। दोनों बैठकों में द्वीप श्रीलंका को देने पर सहमति बनी।
रिपोर्ट में कहा गया कि समझौते में कुछ शर्तें रखी गईं जैसे- भारतीय मछुआरे अपना जाल सुखाने के लिए इस द्वीप पर जा सकेंगे। द्वीप पर बने चर्च में भारतीय लोग की बिना वीजा एंट्री होगी।
कच्चाथीवू द्वीप के बारे में जानकारी
कच्चाथीवू द्वीप हिंद महासागर में भारत के तमिलनाडु और श्रीलंका के बीच में स्थित है। यह द्वीप भारत के रामेश्वरम से 19 किलोमीटर दूर है। इस द्वीप का कुल क्षेत्रफल 285 एकड़ है और यह बंगाल की खाड़ी और अरब सागर को जोड़ता है। इसे 14वीं शताब्दी में एक ज्वालामुखी विस्फोट के बाद बनाया गया था।
कच्चाथीवू द्वीप के बारे में इतिहास
कच्चाथीवू द्वीप 17वीं सदी में मदुरई के राजा रामनद के जमींदारी के अधीन था, लेकिन जब भारत में ब्रिटिश हुकूमत आई तो ये द्वीप मद्रास प्रेसीडेंसी यानी अंग्रेजों के अधीन हो गया। 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद भी इसे भारत का हिस्सा माना गया।
धर्मिक महत्व
कच्चाथीवू द्वीप पर बनी सेंट एंथोनी चर्च में प्रतिवर्ष लोग प्रार्थना करने आते हैं। यह चर्च 110 साल पहले एक तमिल कैथोलिक श्रीनिवास पदैयाची ने बनवाई थी। 2016 में मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि श्रीलंका सरकार इस चर्च को गिराने की तैयारी कर रही है, लेकिन बाद में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने स्पष्ट किया कि ऐसा कुछ नहीं होगा।
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