हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत मनाया जाता है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 23 जनवरी को है। मंगलवार के दिन पड़ने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है। इसके अलावा सुख-समृद्धि मिलती है।
पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 22 जनवरी 2024 दिन सोमवार को शाम 7:51 बजे से शुरू होगी और 23 जनवरी 2024 दिन मंगलवार को रात 8:39 बजे तक रहेगी। सूर्यास्त के बाद और रात्रि प्रारम्भ होने से पहले के समय को प्रदोष काल कहा जाता है। इस प्रदोष काल में ही भगवान शिव की पूजा होती है। इस दिन पूजा का शुभ समय शाम 5.52 बजे से रात 8.33 बजे तक रहेगा।
पूजा विधि
भौम प्रदोष के दिन स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। सफेद या नारंगी रंग के कपड़े पहनें। इसके बाद बेलपत्र के पेड़ पर जल चढ़ाएं। व्रत का संकल्प लें। शाम के समय दोबारा स्नान करें और बेलपत्र के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं। मिट्टी से शिवलिंग का निर्माण करें। भगवान शिव का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें। भांग, धतूरा, भस्म, बेलपत्र आदि अर्पित करें। साबुत चावल की खीर का भोग लगाएं। आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें।
क्यों किया जाता है प्रदोष व्रत?
भौम प्रदोष व्रत के दिन सुबह हनुमान जी को चोला चढ़ाएं। इसके बाद चमेली के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। फिर हलवे का भोग लगाएं और गरीबों में बांटे। मंगल दोष से मुक्ति के लिए और विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए यह दिन बेहद ही खास होता है। इसलिए प्रदोष व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है।
प्रदोष व्रत के दिन न करें ये कार्य
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना के समय शिवलिंग की कभी भी पूरी परिक्रमा नहीं लगानी चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि परिक्रमा के समय जिस स्थान पर दूध बह रहा हो, वहां रुक कर वापस घूमकर परिक्रमा लगाएं। प्रदोष व्रत के दिन तामसिक भोजन (प्याज और लहसुन) का सेवन न करें। मांस व मदिरा का सेवन भी इस दिन वर्जित है।