दोस्तों जीण माता राजस्थान के सीकर जिले में धार्मिक महत्व का एक गांव हैं। यह सीकर से उनत्तीस किलोमीटर दक्षिण में स्थित हैं। यह मंदिर आठवीं सदी में निर्मित हुआ था। यहां की कुल जनसंख्या तिरतालीस सौ उन्सठ हैं। यहां पर श्री जीण माता जी शक्ति की देवी का प्राचीन मंदिर हैं। जीण माता का यह पवित्र मंदिर सैंकड़ों वर्ष पुराना माना जाता हैं। राजस्थान की राजधानी जयपुर से एक सौ आठ किलोमीटर दूर हैं।
बता दें कि जीण माता मंदिर रेवसा गांव से दस कि.मी. पहाड़ी के पास है। कहा जाता हैं कि औरंगजेब ने अपने दिल्ली महल से अखण्ड तेल का दीपक दान किया था। माता के पवित्र संस्कार में यह दीपक अभी भी चमक रहा हैं। मान्यता अनुसार जीण माता का जन्म राजपूत खानदान में हुआ था। उनका भाई हर्ष के मध्य गहरा प्रेम था। दोनों में एक बार किसी कारण नाराजगी हो गई थी। इस वजह से जीण माता प्रवाटों में जाकर तपस्या में लीन हो गई। तपस्या से उन्हें शक्तियां प्राप्त हुई। उसके बाद गांव में जीण माता के मंदिर का निर्माण करवाया गया।

मधु-मक्खियों ने लौटा दी थी सेना
कहते हैं मंदिर में आने वाले भक्तों के जीण माता हर प्रकार के दुख-दर्द मिटा देती हैं। माता को मुखिया मानने वालो में शर्मा, राजपूत, अग्रवाल, जंजीर, शेखावत, मीना और कई अन्य लोगों द्वारा माता को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजा जाता हैं। माता के सबसे ज्यादा भक्त पश्चिम बंगाल से हैं, हर वर्ष भारी संख्या में दर्शनों के लिए मंदिर पहुंचते हैं। एक बार औरंगजेब ने माता के मंदिर को मैदान पर उतारना चाहता था, उस दौरान पुजारियों ने माता की मधु मक्खियों को भेजा गया, जिन्होंने औरंगजेब की सेना को वापिस लौटने पर मजबूर कर दिया था।

पहाड़ी की चोट पर मौजूद भैरवनाथ मंदिर
लाखों की संख्या में भक्त यहां नवरात्रि के दौरान चैत्र और अश्विन के महीने में दो बार एक रंगीन त्यौहार के लिए एकत्रित होते हैं। बड़ी संख्या में आगंतुकों को समायोजित करने के लिए कई धर्मशालाएं हैं। इस मंदिर के करीब ही उसके भाई हर्ष भैरवनाथ मंदिर पहाड़ी की चोटी पर मौजूद हैं। जीण माता मंदिर के पट कभी बंद नहीं होते, ग्रहण में भी माई की आरती सही समय पर होती हैं।


