हिंदु धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। हर माह में दो बार एकादशी पड़ती है। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अतिप्रिय होती है। इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। इस समय पौष का महीना चल रहा है। पौष मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल 7 जनवरी को सफला एकादशी है। सफला एकादशी का व्रत सभी कार्यों को सिद्ध करने का आर्शीवाद प्रदान करता है।
भगवान विष्णु ने जनकल्याण के लिए अपने शरीर से माता एकादशी को उत्पन्न किया था। भगवतगीता में भगवान श्रीकृष्ण ने एकादशी तिथि को स्वयम के समान ही बलशाली बताया है। हर माह की एकादशी का नाम और महत्व अलग-अलग है। पौष माह के कृष्ण पक्ष एकादशी को सफला एकादशी कहते है। शास्त्रों के अनुसार सफला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सारे काम सफल हो जाते है।
सफला एकादशी व्रत की तिथि

पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 07 जनवरी 2024 को सुबह 12 बजकर 41 मिनट पर शुरु होगी और अगले दिन 8 जनवरी 2024 को सुबह 12 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। शास्त्रों के अनुसार सफला एकादशी का व्रत 7 जनवरी 2024 को करना श्रेष्ठ होगा। इसमें पूरे दिन एकादशी का प्रभाव रहेगा। पूजा, दान, रात्रि जागरण करने के लिए ये दिन शुभ होगा।
सफला एकादशी व्रत मुहुर्त
सफला एकादशी के दिन सुबह 8 बजकर 33 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक पूजा का शुभ मुहुर्त है। एकादशी पर सूर्योदय से व्रत शुरु होकर अगले दिन सूर्योदय के बाद समाप्त होता है। इस दिन रात जागरण का विधान है। सफला एकादशी का व्रत पारण 8 जनवरी 2024 को सूबह 6 बजकर 39 मिनट से सुबह 8 बजकर 59 मिनट के बीच किया जाएगा। पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय रात 11 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगा।
इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की मूर्ति को ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए पंचामृत से स्नान आदि कराकर वस्त्र, चन्दन, जनेऊ, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप, नैवैद्ध, ऋतुफल, पान, नारियल आदि अर्पित करके कपूर से आरती करें। रात के समय जागरण करके यदि व्रत का पारण किया जाए तो यह बहुत ही उत्तम फलदायी माना जाता है। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत ही लाभकारी रहता है।

एकादशी व्रत का महत्व
हिंदु धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते है और अंत में स्वर्ग की प्राप्ति होती है। साल में कुल 24 या 25 एकादशी पड़ती है और हर एकादशी का महत्व अलग-अलग होता है। एकादशी तिथि पर भगवान श्री नारायण की पूजा की जाती है।
सफला एकादशी व्रत कथा

प्राचीन काल में चंपावती नगर मे राजा महिष्मत राज करते थे। राजा के 4 पुत्र थे, उनमें लुम्पक बड़ा दुष्ट और पापी थी। वह पिता के धन को कुकर्मों में नष्ट करता रहता था। एक दिन दुखी होकर राजा ने उसे देश निकाला दे दिया। लेकिन फिर भी उसकी लूटपाट की आदत नहीं छूटी। एक समय उसे 3 दिन तक भोजन नहीं मिला। इस दौरान वह भटकता हुआ एक साधु की कुटिया पर पहुंच गया। सौभाग्य से उस दिन सफला एकादशी थी। महात्मा ने उसका सत्कार किया और उसे भोजन दिया। महात्मा के इस व्यवहार से उसकी बुद्धि परिवर्तित हो गई।
वह साधु के चरणों में गिर पड़ा। साधु ने उसे अपना शिष्य बना लिया और धीरे-धीरे लुम्पक का चरित्र निर्मल हो गया। वह महात्मा की आज्ञा से एकादशी का व्रत रखने लगा। जब वह बिल्कुल बदल गया तो महात्मा ने उसके सामने अपना असली रुप प्रकट किया। महात्मा के वेश में स्वयं उसके पिता सामने खड़े थे। इसके बाद लुम्पक ने राज-काज संभालकर आदर्श प्रस्तुत किया और वह आजीवन सफला एकादशी का व्रत रखने लगा।