Priyanka Gandhi Meets Bajrang-Sakshi : पूर्वांचल के बाहुबली माने जाने वाले भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) का अध्यक्ष चुने जाने पर विवाद जारी है। बृजभूषण के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर विरोध प्रदर्शन करने वालों में मुख्य चेहरा रहे पहलवान बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मुलाकात की। पहलवानों से मुलाकात के बाद प्रियंका गांधी का कहना है कि वह एक महिला होने के नाते न्याय की लड़ाई में पहलवानों के साथ हैं। वहीं राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं कि पहलवान बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक जल्द कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।
गौरतलब है कि कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी शुक्रवार को साक्षी मलिक के घर पहुंची और उन्होंने साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया के साथ मुलाकात की। इस दौरान कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा भी मौजूद रहे। सूत्रों की मानें तो प्रियंका गांधी ने महिला पहलवानों के न्याय की लड़ाई में इन दोनों पहलवानों का साथ देने का भरोसा जताया है। वहीं दोनों शीर्ष पहलवानों के कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। कहा जा रहा है कि सरकार ने पहलवानों के न्याय की मांगों को दरकिनार करते हुए बृजभूषण शरण सिंह खेमे को फिर से भारतीय कुश्ती संघ की कमान सौंप दी है। महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण का विरोध करने वाले पहलवान अब कांग्रेस के बैनर तले आकर पीड़ित महिला पहलवानों के न्याय की लड़ाई लड़ सकते हैं।

बजरंग के बाद पहलवान वीरेंद्र सिंह भी पीएम को लौटाएंगे पद्मश्री पुरस्कार
वहीं बजरंग पूनिया के बाद अब पहलवान वीरेंद्र सिंह (गूंगा पहलवान) भी पद्मश्री पुरस्कार लौटाने जा रहे हैं। वीरेंद्र सिंह को वर्ष 2021 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था। गूंगा पहलवान ने सोशल मीडिया एक्स पर ऐलान किया है कि वह भी देश की बहन-बेटी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पद्मश्री पुरस्कार लौटा देंगे। उन्हें अपनी बहन साक्षी मलिक पर गर्व है। साथ ही वीरेंद्र सिंह ने क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर और नीरज चोपड़ा को टैग करते हुए अनुरोध किया है कि देश के सबसे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को भी इस पर निर्णय लेना चाहिए।

साक्षी मलिक ने प्रियंका गांधी से पहले पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और सांसद दीपेंद्र से की मुलाकात
बताया जा रहा है कि प्रियंका गांधी की मुलाकात से पहले साक्षी मलिक ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद दीपेंद्र हुड्डा से मुलाकात कर चुकी हैं। माना जा रहा है कि वीरवार को हुए भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव में संजय सिंह की जीत के बाद शीर्ष पहलवानों ने अपनी नाराजगी जताई है। चुनाव के बाद और बृजभूषण के करीबी संजय सिंह की जीत के बाद ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने पत्रकारों के बीच कुश्ती से सन्यास लेने का ऐलान किया। वहीं पहलवान बजरंग पूनिया ने भी संजय सिंह को अध्यक्ष चुने जाने पर महिला पहलवानों के साथ अन्याय होने की बात कहीं है। उन्होंने शुक्रवार को अपना पद्मश्री अवॉर्ड लौटा दिया है।

बृजभूषण के खेमे ने 15 में से 13 पदों पर हासिल की जीत
भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण के करीबी संजय सिंह वीरवार को चुनाव के बाद अध्यक्ष चुने गए हैं। चुनाव के बाद बृजभूषण के खेमे ने भारतीय कुश्ती महासंघ के 15 में से 13 पदों पर अपनी जीत हासिल कर दबदबा बनाया है। चुनाव के इन्हीं नतीजों के चलते भारत के तीन शीर्ष पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया को काफी निराशा हुई, जिन्होंने महासंघ की कार्यकारिणी में बदलाव लाने के लिए काफी जोर लगाया था। वहीं चुनाव के बाद संघर्ष की लड़ाई लड़ने वाले पहलवानों के हाथ सिर्फ निराशा लगी।

पीएम से मिलने की अनुमति नहीं मिली तो फुटपाथ पर ही रखा पुरस्कार
बता दें कि साक्षी मलिक द्वारा कुश्ती से सन्यास की घोषणा के बाद बजरंग पूनिया अवॉर्ड लौटाने के लिए शुक्रवार देर शाम प्रधानमंत्री आवास पहुंचे। जब उन्हें अंदर जाने की परमिशन नहीं मिली तो उन्होंने अवॉर्ड वहीं फुटपाथ पर रख दिया। हालांकि इससे पहले बजरंग पूनिया ने पद्मश्री लौटाने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था। इसके बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ओलंपिक पदक विजेता पहलवानों से मुलाकात की। इस दौरान प्रियंका ने पहलवानों को आश्वासन दिया कि वह न्याय की लड़ाई में पहलवानों के साथ हैं।

सुनवाई नहीं हुई तो कोर्ट में जाकर दर्ज करवानी पड़ी एफआईआर
बजरंग पूनिया ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में बताया है कि बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों पर महिला पहलवानों ने अपना आंदोलन शुरू किया तो वह भी उसमें शामिल हुए। आंदोलनरत पहलवान जनवरी माह में अपने घर लौट गए, इस दौरान सरकार ने उन्हें ठोस कार्रवाई का आश्वासन दिया था। लेकिन इसके 3 महीने बीत जाने के बाद भी जब बृजभूषण पर एफआईआर तक नहीं की गई, तब पहलवानों ने अप्रैल में दोबारा सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया। जिससे दिल्ली पुलिस बृजभूषण शरण सिंह पर एफआईआर दर्ज कर सके। फिर भी पहलवानों की सुनवाई नहीं हुई तो उन्हें कोर्ट में जाकर एफआईआर दर्ज करवानी पड़ी।

बृजभूषण ने अपनी ताकत से 12 महिला पहलवानों को पीछे हटाया
बजरंग पूनिया ने पत्र में बताया कि जनवरी में शिकायतकर्ता महिला पहलवानों की गिनती 19 थी, जो अप्रैल में पहुंचकर 7 रह गई थी। यानि इन तीन महीनों में अपनी ताकत के दम पर बृजभूषण सिंह ने 12 महिला पहलवानों को अपने न्याय की लड़ाई में पीछे हटा दिया था। आंदोलन 40 दिन चला। इन 40 दिनों में एक महिला पहलवान और पीछे हट गईं। इस दौरान हम सब पर बहुत दबाव आ रहा। हमारे प्रदर्शन स्थल को तहस नहस कर दिया गया और हमें दिल्ली से बाहर खदेड़ दिया गया और हमारे प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी।

आपके जिम्मेदार मंत्री के आश्वासन पर हुई न्याय की आस
बजरंग पूनिया ने बताया कि इसके बाद अपने मेडलों को गंगा में बहाने की सोच मन में आई। जब ऐसा हुआ तो हमें कुछ समझ नहीं आया कि हम क्या करें। जब हम वहां गए तो हमारे कोच साहिबान और किसानों ने हमें ऐसा नहीं करने दिया। उसी दौरान आपके एक जिम्मेदार मंत्री का फोन आया। हमें आश्वासन दिया गया कि हम वापस आ जाएं, हमें न्याय जरूर मिलेगा।
इसी दौरान गृह मंत्री से भी हमारी मुलाकात हुई, जिसमें उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि वह महिला पहलवानों के लिए न्याय में उनका साथ देंगे। कुश्ती संघ से बृजभूषण, उसके परिवार और उसके गुर्गों को बाहर किया जाएगा। हमने उनकी बात मानकर सड़कों से अपना आंदोलन समाप्त कर दिया, क्योंकि सरकार की ओर से कुश्ती संघ का हल निकाला जाएगा। न्याय की लड़ाई न्यायालय में लड़ी जाएगी। यह दो बातें हमें तर्कसंगत लगी। बीते 21 दिसंबर को हुए कुश्ती संघ के चुनाव में बृजभूषण का खेमा एक बार फिर अध्यक्ष पद पर काबिज हो गया है। बृजभूषण की ओर से स्टेटमेंट आई कि दबदबा है और दबदबा रहेगा।

यौन शोषण के आरोपी का संघ की इकाई पर फिर दबदबा
पत्र में बजरंग पूनिया ने कहा कि महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोपी सरेआम दोबारा कुश्ती प्रबंधन करने वाली संघ की इकाई पर अपना दबदबा होने का दावा कर रहा था। इसी मानसिक दबाव में आकर ओलंपिक पदक विजेता एकमात्र महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास ले लिया। हम सभी की रात रोते हुए निकली। समझ नहीं आ रहा था कि कहां जाएं, क्या करें और कैसे जीएं। सरकार और लोगों ने इतना मान-सम्मान दिया। क्या इसी सम्मान के बोझ तले दबकर घुटता रहूं।

कांग्रेस राज्यसभा सांसद ने सोशल मीडिया पर किया पोस्ट
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट किया है। जिसमें दीपेंद्र हुड्डा का कहना है कि भारत की एकमात्र ओलंपिक पदक विजेता महिला पहलवान साक्षी ने अपने साथ हुए घोर अन्याय व केंद्र सरकार की वादाखिलाफी से परेशान होकर कुश्ती खेल से संन्यास ले लिया है। यह देश की महिलाओं के सम्मान और खेल जगत के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। वह आज सुबह साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादियान से मिले। वह अपने साथ हुई वादाखिलाफी से बेहद आहत थे। दीपेंद्र हुड्डा के अनुसार जब उन्होंने साक्षी से आग्रह किया कि देशहित में कुश्ती से सन्यास के अपने फैसले पर पुनर्विचार करें। साथ ही उन्हें विश्वास दिलाया कि न्याय मिलने तक उनका साथ नहीं छोड़ेंगे।

पद्मश्री लौटाना पहलवान पूनिया का निजी फैसला : खेल मंत्रालय
भारतीय कुश्ती महासंघ की कार्यकारिणी के गठन और चल रहे विवादों के बीच खेल मंत्रालय ने भी अपनी स्थिति स्पष्ट की है। खेल मंत्रालय का कहना है कि भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद के लिए संजय सिंह के चुनाव के विरोध में बजरंग पूनिया का पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का फैसला व्यक्तिगत है। फिर भी उन्हें अपने इस फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए समझाने का प्रयास किया जाएगा। मंत्रालय के एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि पद्मश्री लौटाना बजरंग पूनिया का व्यक्तिगत फैसला है। भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव निष्पक्ष और लोकतांत्रिक तरीके से हुए हैं।