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सुनील मलिक ने पहलवानी में 13 साल का सूखा किया दूर,कुश्ती में जीता कांस्य पदक,गांव में खुशी की लहर

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सोनीपत के गांव डबरपुर के रहने वाले पहलवान सुनील मलिक ने, चीन के हांगझोऊ में चल रहे एशियन गेम्स में ग्रीको रोमन वर्ग में 13 साल की लंबी अवधि के बाद देश को पदक दिलाया है।यही नहीं देश के लिए पहला कांस्य पदक जीतकर उन्होंने पूरे हरियाणा ही नहीं बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया। इससे पहले ‘ग्वांग्झू एशियाई खेलों’ में देश के दो पहलवानों ने कांस्य पदक जीते थे। सुनील के पदक जीतने पर ग्रामीणों व परिजनों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है,हर कोई सुनील को उनकी इस उपलब्धि पर बधाई दे रहा है।पहलवान सुनील की मां ने बेटे की इस जीत पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगली बार बेटा ओलंपिक में जाकर गोल्ड मेडल लाए और अपने पिता के सपनों को पूरा करे।वहीं गांव में इस वक्त जश्न का माहौल है,पूरे गांव में खुशी से लड्डू बांटे जा रहे हैं।

गांव डबरपुर सुनील ने 87 किलोग्राम भारवर्ग में देश का प्रतिनिधित्व करते हुए कांस्य पदक जीता है। सुनील ने ग्रीको रोमन वर्ग में किर्गिस्तान के अताबेक अतीसबेकोव को 2-1 के अंतर से हराकर देश की झोली में कांस्य पदक डाला है। इससे पहले वर्ष 2010 में ग्वांग्झू में 60 किलो भारवर्ग के पहलवान रविंद्र सिंह व 66 किलो में उत्तर प्रदेश के पहलवान सुनील राणा ने कांस्य पदक दिलाए थे। उसके बाद वर्ष 2014 व 2018 में ग्रीको रोमन में कोई पदक नहीं मिल सका।

 पहलवान सुनील मलिक की अन्य उपलब्धियां

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1.इसी वर्ष अगस्त में रोमानिया कप में गोल्ड

2. अप्रैल में कजाकिस्तान के अस्ताना में हुई सीनियर एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक

3.दिल्ली में 2020 में हुई सीनियर एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता

4. 2018 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक

5. 2019 में हुई विश्व रैंकिंग सीरीज में रजत पदक

6.2019 में हुई सीनियर एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक जीता

मां ने कहा- पिता का सपना पूरा करना अभी बाकी

सुनील मलिक की मां अनीता देवी का कहना है कि हमें बेटे की उपलब्धि पर गर्व है। मां ने कहा कि सुनील के पिताजी का सपना उसे दिन पूरा होगा जब सुनील ओलंपिक में खेलते हुए गोल्ड मेडल जीत कर लेकर आए और इसके लिए वह लगातार मेहनत भी कर रहा है।वही मेडल जीतने के बाद सुनील की मां ने कहा कि मेडल पूरे देश को समर्पित है।

5 वीं कक्षा से ही कुश्ती कर रहे सुनील

किसान परिवार से संबंध रखने वाले सुनील मलिक जब कक्षा पांचवी में थे। तभी से उन्होंने पहलवानी में हाथ आजमाना शुरू किया था। उन्होंने सबसे पहले निडानी में कुश्ती की तैयारी शुरू की। इसके बाद सुनील ने खरखौदा की प्रताप अकादमी में कुश्ती का प्रशिक्षण लेना शुरु किया।फिर सुनील रोहतक में मेहर सिंह अखाड़े में कुश्ती की तैयारी करते रहे।उनके पिता अश्वनी मलिक का निधन हो चुका है। वह दिल्ली एमसीडी में कार्यरत थे। उनके निधन के बाद सुनील मलिक के बड़े भाई सुमित मलिक ने परिवार की जिम्मेदारी को संभाला है। सुनील के छोटे भाई नितिन नेवी में है।सुनील मलिक ने एशियन गेम्स कुश्ती के ग्रीको रोमन वर्ग में 13 साल के सुखे को दूर किया है।