लंबे वर्षों से साउथ फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय रजनीकांत की पॉपुलैरिटी के बारे में सब जानते हैं। 12 दिसंबर 1950 को बेंगलुरु के एक मराठी परिवार में जन्में रजनीकांत का असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है। सन 1975 में आई फिल्म ‘कथा संगम’ से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने वाले थलाइवा आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। अपनी बेहतरीन एक्टिंग के दम पर उन्होंने सिनेमा की दुनिया में बड़ा नाम कमाया है। रजनीकांत दक्षिण भारतीय फिल्मों में ही नहीं बॉलीवुड फिल्मों में भी अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे हैं।
एक्टर संपन्न परिवार से ताल्लुक नहीं रखते हैं। रजनी जब चार साल के थे तब उन्होंने अपनी मां को खो दिया था। घर की हालत ठीक न होने की वजह से एक्टर ने रजनीकांत कुली से लेकर बस कंडक्टर जैसे काम कर चुके हैं। बस में अपने टिकट काटने के अनोखे अंदाज की वजह से ये बस ड्राइवर्स और कंडक्टर्स के बीच बहुत पॉपुलर हुआ करते थे।
लगभग 11 फिल्मों का कर चुके हैं रीमेक
रजनीकांत को बचपन से ही एक्टिंग का काफी शौक था। एक्टिंग सीखने के दौरान उनके दोस्तों ने उनकी काफी मदद की। इसी दौरान एक दिन उनकी मुलाकात फिल्म डायरेक्टर के. बालचंद्र से हुई। बालचंद्र रजनीकांत से मिलकर काफी इंप्रेस हुए। इसके बाद उन्होंने रजनी को अपनी फिल्म ‘अपूर्वा रागनगाल’ में काम का मौका दिया। लेकिन इस फिल्म में वे ज्यादा फेमस नहीं हो पाए, इसके बाद जब 1978 में अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘डॉन’ आयी।
इसी फिल्म का साउथ में रीमेक बिल्ला के नाम से किया गया। यह फिल्म सुपरहिट रही। इसी फिल्म से रजनीकांत को पहचान मिली। रजनीकांत अमिताभ बच्चन के काफी बड़े फैन हैं। उन्होंने अब तक के फिल्मी करियर में अमिताभ बच्चन के लगभग 11 फिल्मों का रीमेक कर चुके हैं। वे कहते हैं कि उन्हें अमिताभ की फिल्मों से प्रेरणा मिलती है।
बचपन से ही था एक्टर बनने का सपना
बचपन से ही रजनीकांत एक्टर बनना चाहते थे। सपना पूरा करने में रजनीकांत के दोस्त राज बहादुर में बहुत मदद की। इन्होंने ही रजनीकांत को मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला लेने के लिए के लिए मोटिवेट किया। रजनीकांत के लिए ऐसा कर पाना आसान नहीं था। तब ये और कुछ और दोस्त उनकी मदद के लिए आगे आए, जो उनकी ही तरह बस कंडक्टर थे। एक्टिंग सीखने के दौरान ही इन्होंने तमिल भी सीखी।
फिल्मी दुनिया में पहचान बनाने के बाद रजनीकांत अपने अलग-अलग स्टाइल्स के लिए भी सुर्खियों में रहे। अभिनेता का चश्मा पहनना और सिगरेट जलाना आज भी लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर देता है। इसी बीच रजनीकांत की मुलाकात फिल्म डायरेक्टर के.बालचंद्र से हुई। इन्होंने ही रजनीकांत को फिल्म ‘अपूर्वा रागंगाल’ में मौका दिया। इसमें कमल हासन और श्रीविद्या भी थीं।
शुरुआती सालों में किया था नेगेटिव रोल्स में काम
हालांकि, इसमें इनका छोटा-सा नेगेटिव रोल था। इसके बाद इन्हें शुरुआती दो-तीन साल तक ऐसे में ही रोल मिले। इसके बाद रजनीकांत ने साउथ की सभी भाषाओं की फिल्मों में काम करते गए। अपनी मेहनत और लगन के दम पर रजनीकांत ने एक से एक बढ़कर एक फिल्मों में काम किया और अपनी अलग पहचान भी बनाई। हिंदी सिनेमा में रजनीकांत की पारी 1983 की फिल्म ‘अंधा कानून’ से शुरू हुई थी, जिसे टी रामा राव ने निर्देशित किया था। इस फिल्म में अमिताभ और रजनीकांत की जोड़ी ने धमाल मचा दिया था।
10 साल में की 100 से ज्यादा फिल्में
रजनीकांत का करियर ग्राफ काफी तेजी से ऊपर गया है। एक्टर ने महज 10 सालों में 100 से ज्यादा फिल्में की हैं। साउथ के लोग रजनीकांत को भगवान मानते हैं। वहां के लोग रजनी को थलाइवा कहकर भी बुलाते हैं जिसका अर्थ सुपरस्टार होता है। रजनीकांत की शादी 1981 में लता रजनीकांत से हुई। उनकी दो बेटियां हैं ऐश्वर्या और सौंदर्या रजनीकांत। रजनीकांत की नेटवर्थ करीब 430 करोड़ रुपये है।
मिल चुके हैं कई अवॉर्ड्स
पद्म विभूषण और दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित सुपरस्टार को 2010 में फोर्ब्स इंडिया द्वारा ‘सबसे प्रभावशाली भारतीय’ के रूप में नामित किया गया था। साल 2021 में रजनीकांत को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।
जब बैन हुए सिनेमाघरों में सिक्के
एक समय ऐसा भी था जब रजनीकांत की फिल्म देखकर फैन इतने ज्यादा क्रेजी हो जाते थे कि फैंस पैकेट से सिक्के निकालकर उछालने लगते थे। इस वजह से कई बार सिक्के उछाले जाने की वजह से सिनेमाघरों के पर्दे फट जाते थे। इसके बाद सिक्के लेकर सिनेमा हॉल में जाने पर साफ तौर पर बैन लगा दिया गया।