Supreme Court once again refused to order a ban

Supreme Court ने एक बार फिर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के Law पर रोक लगाने का Order देने से किया इन्कार

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सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने एक बार फिर चुनाव आयुक्तों (election commissioners) की नियुक्ति के कानून पर रोक लगाने का आदेश देने से इनकार कर दिया है। इस दौरान Supreme Court ने कहा कि इस स्तर पर ऐसा करना अराजकता पैदा करना होगा।

जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि आप यह नहीं कह सकते कि चुनाव आयोग कार्यपालिका के अधीन है। याचिकाकर्ताओं की ओर इशारा करते हुए कि यह नहीं माना जा सकता कि केंद्र द्वारा बनाया गया कानून गलत है, पीठ ने कहा जिन लोगों को नियुक्त किया गया है, उनके ख़िलाफ कोई आरोप नहीं हैं। चुनाव नजदीक हैं, सुविधा का संतुलन बहुत महत्वपूर्ण है। याचिका कर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने नियुक्ति प्रक्रिया में खामियओं ओर संकेत करते हुए कहा कि 14 फरवरी की रिटायर हुए एक निर्वाचन आयुक्त की रिक्ति नौ मार्च को दिखाई, उसी दिन दूसरी रिक्ति भी दिखाई।

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प्रशांत भूषण ने कहा कि अगले दिन अदालत द्वारा पारित किसी भी आदेश को रद्द करने के लिए 14 मार्च को दो चुनाव आयुक्तों को जल्दबाजी में नियुक्त किया गया, जब मामलों को अंतरिम राहत पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। चयन समिति ने शुरू में 200 से अधिक नाम दिए और फिर उसी दिन शॉर्टलिस्ट कर लिया। कोर्ट 15 तारीख को सुनवाई करने वाला है।

हमने पहले निषोधाज्ञा क्यों नहीं दी : जस्टिस संजीव खन्ना

मामले की सुनवाई में जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि ये अदालत ये नहीं कह सकती कि किस तरह का कानून पास किया जाए। ऐसा नहीं है कि इससे पहले चुनाव नहीं हुए, इन फैक्ट अच्छे चुनाव हुए हैं। चुनाव आयोग पर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह एक प्रक्रियात्मक प्रक्रिया प्रतीत होती है। जस्टिस खन्ना ने कहा कि आप देख रहे हैं कि हमने पहले निषेधाज्ञा क्यों नहीं दी? इस अदालत की शुरुआत से लेकर फैसले तक, राष्ट्रपति नियुक्तियां कर रहे थे, प्रक्रिया काम कर रही थी। आपकी बात में प्वाईंट है, जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया और चुनाव आयुक्तों की प्रक्रिया में अंतर है।

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चुनाव आयोग सरकार के प्रभाव या नियंत्रण में : प्रशांत भूषण

प्रशांत भूषण ने कहा कि हम ये नहीं मांग कर रहे कि चुनाव टाल दिए जाएं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक नई नियुक्ति होने तक उन्हें काम करने दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप ये नहीं कह सकते है कि चुनाव आयोग सरकार के प्रभाव या नियंत्रण में है। ये नहीं कह सकते कि सब नियुक्तियां गलत हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा जिन चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की गई है, अब उनका काम है चुनाव पारदर्शी तरीके से हो। केंद्र की ओर से एसजी तुषार मेहता ने कहा कि संविधान पीठ का फैसला कहता है कि जब तक संसद कानून नहीं बनाती, तब तक उसके निर्देश लागू होंगे।

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