स्वीडन की कंपनी की तरफ से तैयार किया जाने वाला ये हथियार दुश्मनों के टैंकों के लिए काल बन सकता है। ये एक तरह का रॉकेट लॉन्चर है, जो दुश्मन की किसी भी गाड़ी या टैंक को चुटकी में उड़ा सकता है। स्वीडन की फेमस डिफेंस और एयरोस्पेस कंपनी साब ने भारत की रक्षा परियोजनाओं में 100 फीसदी के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मंजूरी हासिल कर ली है। जिसके बाद दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार हरियाणा में तैयार किया जाएगा।
इस हथियार का नाम कार्ल गुस्ताफ एम 4। ये ऐसा हथियार है, जिससे कई अलग-अलग तरह के गोले दागे जा सकते हैं। संभावना है कि यह कंपनी हरियाणा में अपनी फैक्ट्री लगाएगी।
कार्ल गुस्ताफ एम4 में 10 तरह के हथियार लग सकते हैं। यानी एक ही वेपन सिस्टम से दुश्मन के ऊपर दस तरह के हथियार दागे जा सकते हैं। यानी एंटी पर्सनल एचई और एडीएम, सपोर्ट वॉरहेड यानी Smoke, Illum, हीट, एंटी ऑर्मर हीट 551, 551C, 751। इसके अलावा मल्टी रोल एंटी स्ट्रक्चर वॉरहेड में ASM 509, MT 756, HEDP 502, 502 RS.। इनका वजन 1.7 kg तक हो सकता है।
साब एफएफवी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड करेगी इस वेपन को तैयार
यह हथियार भारत में बनेगा तो कई तरह के फायदे होंगे। कार्ल गुस्ताफ एम 4 रिकॉयललेस राइफल है। इस वेपन सिस्टम को इस साब एफएफवी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड तैयार करेगी। यह कंपनी पहली बार स्वीडन से बाहर कोई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने जा रही है। साब के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट गॉर्जेन जोहान्सन ने कहा कि हम कार्ल गुस्ताफ एम4 रॉकेट लॉन्चर की टेक्नोलॉजी भारत को हस्तांतरित कर देंगे। भारत में पहला हथियार साल 2024 में तैयार हो जाएगा। भारतीय सेना ने साब से पहले ही M4 वैरिएंट मंगा रखे हैं। भारत के प्रोडक्शन का बड़ा हिस्सा पहले भारतीय सेना अर्धसैनिक बलों को मिलेगा।
कंधे पर रख कर दागते गोला
इसके बाद हथियारों को स्वीडन ले जाकर, वहां से उनका अंतरराष्ट्रीय डील किया जाएगा। कार्ल गुस्ताफ एम4 राइफल कंधे पर रख कर दागा जाने वाला हथियार है। इसके चार वैरिएंट हैं। M1 को 1946 में बनाया गया था। M2 को 1964 में बनाया गया था। M3 को 1986 में बनाया गया था।
भारत में होता है M3 का प्रोडक्शन
M3 का प्रोडक्शन भारत में ही होता है। M3 को भारत में म्यूनिशन इंडिया लिमिटेड और एडवांस्ड वेपंस एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड मिलकर बनाते हैं। भारत की ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड कार्ल गुस्ताफ एम3 को भारत में ही बना रही है। उसकी रेंज 1200 मीटर है। उसका उत्पादन भी भारत में जारी रहेगा।
इसे चलाने के लिए दो लोगों की जरूरत
कार्ल गुस्ताफ एम4 को 2014 में बनाया गया है। यह दुनिया के अत्याधुनिक रॉकेट लॉन्चरों में से एक है। इसका वजन 6.6 किलोग्राम है। लंबाई 37 इंच है। इसे चलाने के लिए दो लोगों की जरुरत होती है। एक गनर और दूसरा लोडर। इसमें 84 mm व्यास और 246 mm लंबा रॉकेट लगता है। यह एक मिनट में छह राउंड दाग सकता है।
840 फीट प्रति सेकेंड की गति
इस रॉकेट लॉन्चर से दागे जाने के बाद इसके गोले अधिकतम 840 फीट प्रति सेकेंड की गति से आगे बढ़ते हैं। यानी 918 km प्रतिसेकेंड की गति। अगर दुश्मन चलती फिरती गाड़ी में है तो इसकी सटीक रेंज 400 मीटर है। गाड़ी खाड़ी है तो 500 मीटर। अगर स्मोक और हाईएक्सप्लोसिव गोले का उपयोग करते हैं तो रेंज 1000 मीटर है। अगर रॉकेट बूस्टेड लेजर गाइडेड हथियार दागते हैं तो 2000 मीटर तक गोला जाता है।