Sanjiv Khanna

कौन है जस्टिस Sanjiv Khanna? जो बनेंगे भारत के नए मुख्य न्यायाधीश

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भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। उनके उत्तराधिकारी के रूप में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जज जस्टिस Sanjiv Khanna भारत के नए मुख्य न्यायाधीश होंगे। जस्टिस खन्ना 11 नवंबर को CJI के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे और उनका कार्यकाल 6 महीने का रहेगा, जो 13 मई 2025 को उनकी सेवानिवृत्ति तक जारी रहेगा।

कैसे चुने गए जस्टिस खन्ना?

12 अक्टूबर को, केंद्र सरकार ने CJI डीवाई चंद्रचूड़ को उनके उत्तराधिकारी का नाम देने के लिए अनुरोध किया था, जिसके जवाब में उन्होंने जस्टिस संजीव खन्ना का नाम सुझाया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस पर अपनी स्वीकृति प्रदान की और अब जस्टिस संजीव खन्ना अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे।

कौन हैं जस्टिस संजीव खन्ना?

जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ और उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई पूरी की। 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के रूप में रजिस्ट्रेशन कराते हुए, उन्होंने तीस हजारी कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। धीरे-धीरे उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट में प्रमोशन मिला और वे 2005 में एडिशनल जज और 2006 में स्थायी जज बने। इसके बाद, 18 जनवरी 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया।

उनके कानूनी करियर की विशेषताएं

जस्टिस खन्ना ने वैधानिक कानून, मध्यस्थता, कमर्शियल और कंपनी कानून, आपराधिक कानून समेत विभिन्न कानूनी क्षेत्रों में कार्य किया है। वे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के वरिष्ठ स्थायी वकील रह चुके हैं और दिल्ली हाईकोर्ट के लिए कई बार न्यायमित्र (एमिकस क्यूरी) के रूप में भी कार्य किया है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी के अध्यक्ष और राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं।

प्रमुख मामलों में भूमिका

जस्टिस संजीव खन्ना ने कई महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय दिए हैं। इनमें बिलकिस बानो केस, अरविंद केजरीवाल की जमानत का मामला, वीवीपीएटी का 100% वैरिफिकेशन, इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम और अनुच्छेद 370 से जुड़े मामले शामिल हैं। अगस्त 2024 में समलैंगिक विवाह से जुड़े एक केस की सुनवाई में शामिल होने से वे खुद को अलग कर चुके हैं।

भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस संजीव खन्ना की नियुक्ति उनके करियर और देश के न्यायिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में देखी जा रही है।

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