नींद से जुड़ी समस्याओं और उनके साइड इफेक्ट के बारे में लोगों को जागरुर करने के लिए हर साल वर्ल्ड स्लीप डे मनाया जाता है। वर्ल्ड स्लीप डे हर साल वसंत विषुव से पहले मनाया जाता है। इस साल 15 मार्च यानी आज स्लीप डे मनाया जा रहा है। साल 2024 में वर्ल्ड स्लीप डे की थीम है ‘Sleep Equity For Global Health’ जिसका मतलब है कि नींद सेहतमंद रहने के लिए कितनी जरुरी है।
इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 2008 से हुई थी। अब 88 से ज्यादा देशों में वर्ल्ड स्लीप डे मनाया जाता है। इस दिन का इतिहास आपकी अच्छी सेहत और नींद से जुड़ा है। आपकी अच्छी नींद आपको सेहतमंद रखती है।

नींद की कमी लोगों को बीमार बना देती ह। लोगों को हेल्दी रखने के लिए रात की 8 घंटे की नींद लेना जरुरी है। नींद के प्रित जागरुकता बढ़ाने के लिए ही ये दिन मनाया जाता है। शहरों मे रहने वाले लोग देर रात तक जागते है। सात घंटे से कम नींद लेते है जो उन्हें शारीरिक और मानसिक बीमार बना रही है। पर्याप्त नींद लेने से हमारी एकाग्रता, याददाश्त और निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है। हेल्दी रहने के लिए अच्छी और पूरी नींद जरुरी है। यही वजह है कि नींद के महत्व और इससे जुड़े डिसऑर्डर के बारे में जागरुकता फैलाने के मकसद से हर साल मार्च के तीसरे शुक्रवार को वर्ल्ड स्लीप डे मनाया जाता है।
नींद को प्रभावित करता है सोने का तरीका
हमारी नींद को कई चीजें प्रभावित करती है जिसमें से एक हमारे सोने का तरीका भी है। हम कैसे सोते है, इसका आपको मानसिक स्वास्थय पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। इतना ही नहीं अकेले सोने या बेड शेयर करने का भी हमारी सेहत पर असर पड़ता है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे अकेले सोने और बेड शेयर करने में से ज्यादा बेहतर क्या और क्यो है।
बेड शेयर करने के फायदे

एरिजोना विश्वविद्यालय में हुई एक स्टडी में यह पता चला कि अपने साथी या जीवनसाथी के साथ विस्तार साझा करते है, वे अकेले सोने वालों की तुलना में बेहतक सोते है। अध्ययन के अनुसार, अकेले सोने वालों की तुलना में पार्टनर के साथ बिस्तर शेयर करने वालों को अनिद्रा, थकान और ज्यादा सोने की समस्या कम होती है। इतना ही नहीं अध्ययन में यह भी पता चला कि अपने साथी के साथ सोते है, उनमें अवसाद, चिंता और तनाव कम होता है और जीवन व रिश्तों को लेकर अधिक संतुष्टि मिलती है।
अकेले सोने के फायदे

हालांकि कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि बेड शेयर करने से लोगों की नींद की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। खासकर उन लोगों की, जो अपने पार्टनर के खर्राटों या बार-बार करवट बदलने के कारण गहरी नींद नहीं ले पाते है। अगर आप पार्टनर नींद से जुड़ी समस्या से जूझ रहा है, तो उसे बार-बार करवटें बदलने की समस्या होती है, जिसका असर दूसरे साथी की नींद पर भी पड़ सकता है। वहीं इसके विपरीत अगर अकेले सोते है, तो पार्टनर से एसी की तापमान, पंखे की स्पीड आदि को लेकर होने वाले झगड़ो से बचने में मदद मिल सकती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि स्लीप डिवोर्स जिसमें कपल अलग-अलग सोते है। नींद की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है, लेकिन अगर रात के समय अलग रहने की वजह से कम्युनिकेशन और इंटिमेसी प्रभावित होती है, जो रिशते की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि आप भले ही अकेले सोएं या अपने पार्टनर के साथ, दोनों के लिए अपने अलग फायदे और नुकसान है। ऐसें में आप अपनी सुविधा के अनुसार यह तय कर सकते है कि आपके लिए किस तरह सोना ज्यादा बेहतर है।