Wrestlers' pain erupted

WFI Election : पहलवानों का फूटा दर्द, Sakshi ने कहा मैं अपनी कुश्ती को त्यागती हूं, Vinesh बोलीं पर्दे में होने वाली चीजें खुले में होंगी, Bajrang बोलें वादे पर खरा नहीं उतरी सरकार

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Indian Wrestling Association Elections : बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह के भारतीय कुश्ती महासंघ का अध्यक्ष बनने के बाद देश के शीर्ष पहलवान विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक सामने आए हैं। शीर्ष पहलवानों ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कुश्ती महासंघ के नए अध्यक्ष पर असहमति जताई। उनका कहना है कि वह नए अध्यक्ष के रूप में संजय सिंह से नाखुश हैं। सरकार ने उनके साथ जो वादा किया, वह उस पर खरा नहीं उतर पाई।

पहलवानों ने कहा कि पूरा देश जानना चाहता है कि खिलाड़ी इतने दिन चुप क्यों थे। पिछले वर्ष जनवरी में आए थे। उसके बाद एक कमेटी बनाई। पहले सच्चाई की लड़ाई लड़ रहे थे, अब बहन-बेटियों की लड़ाई लड़ रहे हैं। जितना हम में दम था हम लड़े, लेकिन आगे पीढ़ियों को भी अपने हक की लड़ाई इसी तरह लड़नी पड़ेगी। बता दें कि भारतीय कुश्ती महासंघ से विदाई लेने के बाद भी बृजभूषण शरण सिंह का दबदबा बरकरार है। वहीं महासंघ के चुने गए नए अध्यक्ष संजय सिंह उर्फ बबलू भी उन्हीं के खेमे से हैं। संजय सिंह ने अध्यक्ष पद के चुनाव में पहलवानों के साथ बृजभूषण का विरोध करने वाली अनीता श्योराण को चुनावी रण में मात दी है। इस दौरान संजय सिंह ने कहा कि जिनको कुश्ती करनी है, वह कुश्ती करें। जिनको राजनीति करनी है, वह राजनीति करें। आगे भी बच्चों के लिए शिविर लगाए जाएंगे। उनका साल खराब नहीं होने दिया जाएगा। ओलिंपिक में जाने वाले पहलवानों की तैयारी करवाई जाएगी।

बहन-बेटियों को 2-3 पीढ़ियां और लड़नी पड़ेगी लड़ाई : बजरंग पूनिया

पहलवान बजरंग पूनिया ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हमारी लड़ाई सरकार से नहीं, बल्कि व्यक्तिगत आदमी से लड़ाई है, जो हमारी बहन-बेटियों का शोषण कर रहा था। ऐसा उसने सिर्फ अपनी पावर के दम पर किया। हमें बहन-बेटियों के न्याय की अभी और लड़ाई लड़नी पड़ेगी। हमने जो लड़ाई लड़ी, उससे हमें लगता है कि हमारी आने वाली 2-3 पीढ़ियों को और लड़नी पड़ेगी।

बजरंग पूनिया ने कहा कि हमारे अंदर जितना दम था, हमने उसके आधार पर लड़ाई को लड़ा है, लेकिन सरकार ने हमसे जो वादा किया था, उस पर वह खरा नहीं उतर पाई। अब आने वाली पीढ़ियों को भी इस लड़ाई का हिस्सा बनना पड़ेगा। पूनिया ने कहा कि हम राजनीति करने नहीं आए, बल्कि अपनी बहन-बेटियों के हक की लड़ाई लड़ने के लिए आए हैं। इतना ही कहूंगा कि जो हमारे साथ जुड़े हैं, बहन-बेटियों के साथ आगे भी कुछ भी हो सकता है।

40 दिन सड़कों पर सोए, देशवासियों का सहयोग मिला, लेकिन नहीं जीत पाए : साक्षी मलिक

पहलवान साक्षी मलिक ने कहा कि भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ लड़ाई लड़ने में उन्हें काफी साल लगे, लेकिन आज नतीजा सबके सामने है। आज फिर बृजभूषण के खेमे से ही उनके बेटे समान दाहिनी हाथ को अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठा दिया गया है। हमारी सरकार से एक ही मांग थी कि यदि एक महिला को अध्यक्ष बनाया जाएगा, तो बहन-बेटियों के प्रति होने वाले शोषण पर लगाम लगेगी। हालांकि संघ में पहले महिला की भागीदारी नहीं थी और अब सरकार ने उनके साथ धोखा किया है।

साक्षी मलिक ने कहा कि हमारी यह लड़ाई भविष्य में भी जारी रहेगी। आंखों से आंसु छलकाते हुए साक्षी मलिक ने कहा कि हम 40 दिन तक सड़कों पर सोए, माता-बहनों और देशवासियों का पूरा सहयोग मिला, लेकिन हम अपनी लड़ाई नहीं जीत पाए। आपका बहुत धन्यवाद। सिर्फ एक ही बात कहूंगी कि भारतीय कुश्ती महासंघ में अध्यक्ष बृजभूषण जैसा आदमी ही रहता है तो मैं अपनी कुश्ती को त्यागती हूं। साक्षी मलिक आज के बाद कभी भी आपको वहां नहीं दिखेंगी। साक्षी ने फिर देशवासियों को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए धन्यवाद किया।

संजय सिंह का अध्यक्ष बनना मतलब लड़कियों का फिर से शोषण होना : विनेश फोगाट

पहलवान विनेश फोगाट ने कहा कि रेसलिंग मैट, सड़कों से लेकर बंद कमरों तक हमनें हर किसी को अपनी बात बताई है। सभी को पता है कि हम प्रयास करने के बाद ही दिल्ली की सड़कों पर उतरे थे। उनकी पहली मुलाकात गृह मंत्री से हुई। उन्होंने मंत्री को महिला पहलवानों के नामों से भी अवगत कराया था और कुश्ती को बचाने की गुहार लगाई थी। इस दौरान पहलवानों को 40 दिन में कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया गया था। इसके 4 महीने बाद पहलवान दिल्ली जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के लिए पहुंचे थे। यह बात पूरे देश के सामने है। आज महासंघ के चुनाव में दोबारा बृजभूषण के खेमे को कुर्सी पर बैठाकर सरकार का निर्णय गलत है।

विनेश फोगाट ने कहा कि उन्हें इस बारे में पहले से ही अवगत था कि बृजभूषण के खेमे का दबदबा है। जिसके कयास पहले से ही लगाए जा रहे थे। जो चीजें पर्दे के पीछे हो रही थी, अब वह खुले में होंगी। दुख इस बात का है कि जिस लड़ाई को हम बच्चों के भविष्य के लिए लड़ रहे थे, उसमें हम कामयाब नहीं हो पाए। हमें नहीं पता हमारे देश में न्याय कैसे मिलता है। महिलाओं का शोषण करने वालों को ही संवैधानिक पदों पर बैठाया जा रहा है। विनेश फोगाट का कहना है कि इस तरह हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी शोषण के लिए तैयार रहना होगा।