Mizoram Election Results 2023 Live Update : मिजोरम में 40 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव के बाद आज मतगणना पूरी हो चुकी है। शुरुआती रुझानों में ही जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) लीड पर रही। मिजोरम में विधानसभा चुनाव के लिए 7 नवंबर को वोटिंग हुई थी। आज मतगणना के दौरान यहां 174 प्रत्याशियों के भविष्य की किस्मत का पिटारा खुला है। इन चुनावों के परिणामों में जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने 27 सीटें जीतकर बहुमत हासिल कर लिया है।
इस बार जेडपीएम पूर्व आईपीएस लालदुहोमा के नेतृत्व में राज्य में अपनी सरकार बनाएगी। वहीं एमएनएफ के जोरामथांगा अपनी सरकार को बचाने में नाकामयाब रहे। मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने राजभवन में राज्यपाल डॉ. हरि बाबू कंभमपति को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। बता दें कि 40 सीटों वाले मिजोरम विधानसभा में बहुमत के लिए 21 सीटों की जरूरत थी। वहीं राज्य में अब जोरम पीपुल्स मूवमेंट सबसे बड़ी पार्टी बन गई है, जबकि सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) को 10 सीटों पर ही संतुष्ट होना पड़ा। मुख्यमंत्री जोरमथंगा आइजोल-ईस्ट 1 सीट से चुनाव हार गए। उन्हें जेडपीएम के ललथनसंगा ने मात दी है।
इसके अलावा मिजोरम में भाजपा के हिस्से 2 और कांग्रेस के खाते में 1 सीट आई है। भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में यहां से एक सीट पर अपनी जीत दर्ज की थी। जेडपीएम पार्टी में एक पूर्व आईपीएस अधिकारी, विधायक एवं पूर्व सांसद लालडुहोमा द्वारा स्थापित पार्टी जेडपीएम के मिजोरम में सत्ता के शिखर तक पहुंचने की कहानी बहुत दिलचस्प रही है। बता दें कि वर्ष 2018 के मिजोरम विधानसभा चुनावों में जेडपीएम पहली बार मैदान में उतरी थी। पार्टी ने खुद को मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के राजनीतिक विकल्प के रूप में पेश किया। उस दौरान पार्टी ने शराबबंदी की वकालत की।
छह क्षेत्रीय दलों के गठबंधन के रूप में हुआ था जोरम पीपुल्स मूवमेंट का गठन?
जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) का गठन छह क्षेत्रीय दलों के गठबंधन के रूप में किया गया था। इन छह क्षेत्रीय दलों में मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, जोरम नेशनलिस्ट पार्टी, जोरम एक्सोडस मूवमेंट, जोरम डिसेंट्रेलाइजेशन फ्रंट, जोरम रिफॉर्मेशन फ्रंट और मिजोरम पीपुल्स पार्टी शामिल थे। इन दलों ने आगे चलकर एक एकीकृत इकाई के रूप में विलय कर लिया। इसके बाद आधिकारिक तौर पर वर्ष 2018 में जोरम पीपुल्स मूवमेंट यानि आज के जेडपीएम का गठन हुआ। हालांकि चुनाव आयोग में पंजीकृत होने के लिए जेडपीएम को और इंतजार करना पड़ा।
इसके बाद भारतीय चुनाव आयोग ने आधिकारिक तौर पर जुलाई 2019 में पार्टी को पंजीकृत कर दिया। इस दौरान जहां पार्टी के लिए यह बड़ी खुशी की बात थी तो दूसरी तरफ एक दुख समाचार भी सामने था। जेडपीएम को राजनीतिक पार्टी का दर्जा मिलने के साथ इसकी सबसे बड़ी संस्थापक पार्टी मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस वर्ष 2019 में ही गठबंधन से बाहर हो गई। लेकिन पार्टी ने हिम्मत नहीं हारी और अपने मनसूबों पर डटी रही। जेडपीएम का उद्देश्य मिजोरम के लोगों से जुड़े विभिन्न मुद्दों को उठाना रहा। जिसका गठन ही सामाजिक चिंताओं और सामुदायिक कल्याण पर ध्यान देने के लिए एक गैर-राजनीतिक इकाई के रूप में किया गया था। अब जेडपीएम ने विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री जोरमथंगा को मात देकर राजनीतिक गलियारों में सुर्खियां पैदा कर दी हैं।
जेडपीएम ने दोपहर को ही जीत पर कर ली थी फतेह
दोपहर के समय चुनाव आयोग के अनुसार मिजोरम में जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने 25 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए 40 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत हासिल कर लिया। जेडपीएम दो सीटों पर आगे चल रही थी। वहीं मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की थी और दो सीटों पर आगे चल रही है। वहीं मिजोरम में भाजपा का दो सीटों पर कब्जा हो चुका था। वहीं आइजोल पूर्व-1 निर्वाचन क्षेत्र में जेडपीएम के लालथनसांगा ने मौजूदा मुख्यमंत्री जोरमथांगा को हराया। मुख्यमंत्री को 2101 वोटों से करारी हार मिली है।
उधर जेडपीएम पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार लालदुहोमा का कहना है कि वह कल या परसों राज्यपाल से मुलाकात कर सकते हैं। उनका कहना है कि इसी माह शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया जाएगा। लालदुहोमा का कहना है कि मिजोरम वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। यही हमें निवर्तमान सरकार से विरासत में मिलने जा रहा है। हम अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने जा रहे हैं। वित्तीय सुधार जरूरी हैं और उसके लिए हम संसाधन जुटाने जा रहे हैं।
जानिए कौन हैं जेडपीएम पार्टी के सीएम उम्मीदवार लालदुहोमा
एमएनएफ और कांग्रेस के अलावा मिजोरम में तीसरी बड़ी पार्टी जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) है। जिसके प्रमुख नेता लालदुहोमा हैं। लालदुहोमा एक पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं। यह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिक्योरिटी संभाल चुके हैं। गत दिनों जब राहुल गांधी की जब संसद सदस्यता गई थी तो लालदुहोमा एक बार फिर चर्चा में आ गए थे।
बता दें कि लालदुहोमा ने वर्ष 1984 में मिजोरम से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा सीट जीती थी। बाद में उनका प्रदेश के कांग्रेस नेताओं से मतभेद हो गया और उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। वह वर्ष 1988 में दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले लोकसभा सांसद बने। वर्ष 2018 में लालदुहोमा ने आइजोल पश्चिम-I और सेरछिप से निर्दलीय चुनाव जीता।
वहीं जेडपीएम के उपाध्यक्ष डॉ. केनेथ चवांगलियाना का कहना है कि वह पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाने जा रहे हैं। जीत के बाद उनकी प्राथमिकता खेती, खाद्यान्न उगाने में आत्मनिर्भर बनने, बिजली एवं संचार को बढ़ाने और युवाओं के मुद्दों को सुलझाने पर कार्य किए जाएंगे।
मिजोरम में वर्ष 1984 से राज कर रही थी एमएनएफ और कांग्रेस
मिजोरम में वर्ष 1984 से कभी कांग्रेस तो कभी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) की सरकार सत्ता पर काबिज रही। इस बार जोरम पीपुल्स मूवमेंट ने एमएनएफ के अपनी सरकार बनाने के मनसूबो पर पानी फेर दिया है।
इससे पहले चुनाव आयोग की 13 सीटों पर चुनावी परिणाम सामने आया। जोरम पीपुल्स मूवमेंट ने 11 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि अन्य दो सीटों पर अलग-अलग पार्टी ने अपना कब्जा किया है। इनमें से एक सीट पर मिजो नेशनल फ्रंट (एनएमएफ) और एक सीट पर भाजपा ने अपना परचम लहराया है। उप मुख्यमंत्री के बाद अब मिजोरम के स्वास्थ्य मंत्री और एमएनएफ प्रत्याशी आर लालथंगलियाना दक्षिण तुईपुई सीट पर जेडपीएम के जेजे लालपेखलुआ से मात खा गए। लालपेखलुआ को 5468 वोट और एमएनएफ के आर लालथंगलियाना ने 5333 वोट हासिल किए हैं।
मतगणना शुरू होते ही लीड पर थी जेडपीएम
बता दें कि मिजोरम की 40 विधानसभा सीटों पर मिजो नेशनल फ्रंट, जोरम पीपुल्स मूवमेंट, कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला रहा। वोटों की गिनती शुरू होते ही जोरम पीपुल्स मूवमेंट फिलहाल बहुमत के आंकड़े को पार करते नजर आ रही थी। हालांकि पहले मिजोरम में मतगणना को लेकर 3 दिसंबर का दिन तय किया गया था, लेकिन चुनाव आयोग की ओर से 4 दिसंबर तक के लिए मतगणना को स्थगित कर दिया था। इसके बाद सामने आए रुझानों में जोरम पीपुल्स मूवमेंट 29 सीट पर आगे रही। सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) को 7, भाजपा को 3 और कांग्रेस को 1 सीट पर बढ़त मिली।
मुख्यमंत्री जोरमथांगा पीछे, उप मुख्यमंत्री तावंलुइया हारे
गौरतलब है कि जोरम पीपुल्स मूवमेंट के प्रमुख लालदुहोमा हैं, जो एक पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं। लालदुहोमा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिक्योरिटी भी संभाल चुके हैं। उनकी पार्टी ने दूसरी बार विधानसभा चुनाव लड़ा है। वर्ष 2018 के चुनाव में जेडपीएम को 8 सीटें मिली थीं। बता दें कि मुख्यमंत्री जोरमथांगा आइजोल पूर्व-1 सीट पर पीछे चल रहे।
जेडपीएम के मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी लालदुहोमा अपने गृह क्षेत्र सेरछिप सीट पर बढ़त बनाए हुए थे, जबकि मिजोरम कांग्रेस अध्यक्ष लालसावता आइजोल पश्चिम-3 सीट से पीछे चल रहे थे। मिजोरम के उप मुख्यमंत्री तावंलुइया तुईचांग में जेडपीएम उम्मीदवार डब्ल्यू छुआनावमा से हार गए। मिजो नेशनल फ्रंट के तावलुइया को 6079 वोट मिले, जबकि जोरम पीपुल्स मूवमेंट के प्रत्याशी डब्ल्यू चुआनावमा को 6988 ने मत प्राप्त किए।
वर्ष 2018 में कांग्रेस के हाथ से चला गया था राज
वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनावों के परिणामों में कांग्रेस पार्टी को सत्ता से बाहर का रास्ता देखने को मिला। इससे पहले मिजोरम में कांग्रेस ने 10 साल तक राज किया। पी ललथनहवला चम्फाई साउथ और सेरछिप दोनों सीटों से चुनाव हार गए थे। मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने चुनाव जीतकर अपना परचम लहराया था। जीत के बाद जोरमथंगा मुख्यमंत्री बने थे। वर्ष 2018 में एमएनएफ को 26, कांग्रेस को 5, भाजपा को 1 और निर्दलीयों के खाते में 8 सीटें आई थीं।
वर्ष 2023 में मिजोरम में लालदुहोमा की पार्टी जेडपीएम अपनी सरकार बनाती दिखी। आंकड़ों के अनुसार जेडपीएम सबसे आगे बढ़त बनाए रही। एक्जिट पोल की मानें तो मिजोरम में जेडपीएम को 16, सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) को 15, कांग्रेस को 7 और भाजपा को 1 सीट मिलने का अनुमान लगाया गया था।