दुनिया में काम के घंटों और जीवन संतुलन को लेकर बहस तेज हो गई है। एक ओर भारत और अन्य देशों में सप्ताह में 70 से 90 घंटे काम करने की बहस चल रही है, वहीं दूसरी ओर यूनाइटेड किंगडम (UK) की 200 कंपनियों ने एक क्रांतिकारी फैसला लिया है। उन्होंने घोषणा की है कि उनके कर्मचारियों को अब सप्ताह में केवल चार दिन काम करना होगा और इसके बावजूद उनके वेतन में कोई कटौती नहीं होगी।

क्या है यह नई पहल
एक रिपोर्ट के अनुसार, “4 डे वर्क वीक” नामक इस पहल का उद्देश्य कर्मचारियों के जीवन को बेहतर बनाना है। “4 डे वीक कैंपेन” के निदेशक जो राइल का कहना है कि, सप्ताह में 50% ज्यादा खाली समय मिलने से न केवल लोग ज्यादा खुश रहेंगे, बल्कि उन्हें अपने परिवार के साथ समय बिताने का मौका भी मिलेगा।
इस बदलाव को लागू करने वाली कंपनियों का मानना है कि कम दिनों में काम करने से कर्मचारियों की उत्पादकता में सुधार होगा। जब कर्मचारियों को बेहतर आराम और मानसिक शांति मिलती है, तो वे अपने काम में अधिक कुशलता और उत्साह के साथ योगदान देते हैं।

कौन-कौन सी कंपनियां हैं इस पहल का हिस्सा
मार्केटिंग, मीडिया और एडवरटाइजिंग कंपनियां तेजी से इस संस्कृति को अपना रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार,
- 30 कंपनियां मार्केटिंग और एड सेक्टर से जुड़ी हैं।
- 29 चैरिटी संस्थाओं ने इसे अपनाया है।
- 24 टेक्नोलॉजी कंपनियां और 22 मैनेजमेंट सेक्टर की कंपनियां भी इस बदलाव में शामिल हैं।
इन सेक्टरों में काम की प्रकृति ऐसी है, जहां क्रिएटिविटी और फोकस सबसे ज्यादा मायने रखता है। चार दिन काम करने का सिस्टम कर्मचारियों को अपनी ऊर्जा और समय को सही ढंग से प्रबंधित करने में मदद करता है।

फायदे क्या है
- बेहतर जीवन संतुलन: कम काम के दिन होने से लोग अपनी निजी जिंदगी और परिवार के साथ ज्यादा समय बिता सकते हैं।
- उत्पादकता में वृद्धि: कम घंटों में काम करने का मतलब है कि लोग ज्यादा फोकस्ड रहेंगे और बेहतर परिणाम देंगे।
- तनाव में कमी: काम के घंटों में कमी से मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है, जिससे तनाव और बर्नआउट के मामले घटते हैं।
- कंपनी की लाभप्रदता: कर्मचारियों की संतुष्टि और उत्पादकता में सुधार कंपनी के लिए भी फायदेमंद साबित होता है।
दुनिया में बढ़ रहा है 4 डे वर्क वीक कल्चर
यूनाइटेड किंगडम के अलावा अन्य देशों में भी यह चलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है। जापान, न्यूजीलैंड और जर्मनी जैसी अर्थव्यवस्थाओं ने इस मॉडल को सफलतापूर्वक अपनाया है। 2022 में एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत, ब्रिटेन की 61 कंपनियों ने चार दिन के काम का सिस्टम लागू किया। इस प्रयोग के नतीजे सकारात्मक रहे, और 90% कंपनियों ने इस मॉडल को स्थायी रूप से अपनाने का फैसला किया।
क्या भारत में यह संभव है?
भारत में अभी भी लंबे घंटों तक काम करने का चलन है, लेकिन समय के साथ यह सोच बदल सकती है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा और कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ते प्रभाव को देखते हुए भारतीय कंपनियां भी इस तरह का कदम बढ़ा सकती हैं। हालांकि, इसके लिए मजबूत योजना और मानसिकता में बदलाव जरूरी होगा।