Haryana में विधानसभा चुनावों में अच्छे माहौल के बावजूद कांग्रेस की हार के बाद पार्टी में घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। हार के बाद अब कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष और नेता विपक्ष के पदों के लिए अंदरूनी संघर्ष शुरू हो गया है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने हार के बाद राहुल गांधी को इस्तीफे की पेशकश की है। इससे मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और नेता विपक्ष भूपेंद्र हुड्डा पर पद छोड़ने का दबाव बढ़ गया है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा सांसद कुमारी सैलजा को प्रदेश अध्यक्ष पद पर वापस लाने पर विचार किया जा रहा है। हार के बाद जहां हुड्डा-उदयभान की जोड़ी अपने घरों में सीमित हो गई है, वहीं कुमारी सैलजा फील्ड में जाकर पार्टी कार्यकर्ताओं से मिल रही हैं।
नेता विपक्ष पद पर भी संभावनाएं
हरियाणा विधानसभा में नेता विपक्ष के पद के लिए भी कयास लगाए जा रहे हैं कि यह पद भजनलाल के बेटे चंद्रमोहन को दिया जा सकता है। वहीं, हुड्डा गुट ने इसके जवाब में विधायक गीता भुक्कल को प्रदेश अध्यक्ष और अशोक अरोड़ा को नेता विपक्ष के पद के लिए आगे बढ़ाया है।
कांग्रेस की लगातार हार और आंतरिक कलह
हरियाणा में कांग्रेस लगातार तीसरी बार विधानसभा चुनाव हार गई है। इस बार पार्टी को 37 सीटें मिलीं, जबकि भाजपा ने 48 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया। हार के बावजूद कांग्रेस ने अपनी आंतरिक गलतियों को नजरअंदाज किया और हार का कारण ईवीएम गड़बड़ी को ठहराया। 2014 और 2019 के चुनावों में भी कांग्रेस ने भाजपा की जीत के पीछे बाहरी कारण बताए, परंतु अपनी गलतियों पर आत्ममंथन नहीं किया। कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी और नेताओं के बीच मनमुटाव का भाजपा ने फायदा उठाया और सत्ता में बनी रही।
भाजपा के खिलाफ माहौल के बावजूद हार
2024 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के पक्ष में माहौल होने के बावजूद पार्टी की आंतरिक कलह और गुटबाजी के कारण कांग्रेस चुनाव हार गई। जहां एक ओर हुड्डा गुट ने अधिकतर सीटों पर अपने समर्थकों को टिकट दिलवाया, वहीं दूसरी ओर कुमारी सैलजा ने अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के प्रयास किए। इस आंतरिक संघर्ष का असर पार्टी के प्रदर्शन पर पड़ा और भाजपा ने इसका पूरा फायदा उठाया।
EVM गड़बड़ी का आरोप और कांग्रेस का संगठनात्मक संकट
हार के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर EVM गड़बड़ी का आरोप लगाया। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान ने दावा किया कि मतगणना के दौरान कुछ विशेष EVM की बैटरी 99% चार्ज थी, जिनसे भाजपा को अधिक वोट मिले। कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे की बात करें तो पिछले 10 सालों में पार्टी ने अपना संगठन मजबूत नहीं किया है। आज तक जिलाध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति तक नहीं हो पाई है, जिससे पार्टी में आंतरिक संघर्ष और नेतृत्व की कमी बनी हुई है।







