हरियाणा की पूर्व मंत्री किरण चौधरी(Kiran Chaudhary) ने अपनी पूर्व दल कांग्रेस(Congress) पार्टी को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने पर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष उदयभान अपनी चुप्पी तोड़ते हुए नजर आए। इसके पीछे उनके विचारों और राजनीतिक मंच पर किए गए बयानों में अनेक कड़े आरोप सामने आए हैं।
बता दें कि कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष उदयभान ने मामले पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने किरण चौधरी के निर्णय को नकारा और कहा कि इससे कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, बल्कि किरण चौधरी को हरियाणा में उनकी ज़रूरत थी, जो वे अपने ही विचारों के खिलाफ छोड़कर चली गईं। उदयभान ने दावा किया कि किरण चौधरी का राजनीतिक संगठन परिस्थितियों के हिसाब से चलना चाहिए था, लेकिन उन्होंने अपने स्वार्थ के लिए कांग्रेस को विश्वासघात देने का रास्ता चुना। उन्होंने कहा कि किरण चौधरी ने पहले भी ऐसे व्यक्तियों को टिकट देकर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है, जैसे कि अजय माकन के मुकाबले राज्यसभा चुनाव में हाराने में साझेदारी की थी।

उदयभान ने इसे एक गंभीर विश्लेषण माना और बताया कि कांग्रेस पार्टी की प्रतिष्ठा पर बौछार होती है, जब उसके नेताओं ने अपने व्यक्तिगत हितों के लिए पार्टी की विश्वासघात की। उन्होंने यह भी उजागर किया कि कांग्रेस में गुटबाजी नहीं होती है, जबकि उन्हें बीजेपी में इस तरह की संकेत मिली है।
भविष्य को खतरे में किया महसूस
इस संदर्भ में किरण चौधरी ने उसके समर्थन में आए उम्मीदवारों को भी उठाया है। उन्होंने दावा किया कि उनकी बेटी को हर बार टिकट मिला है और उसे कांग्रेस पार्टी ने विधायक दल का नेता और सांसद बनाया है। इस बार जब उसकी बेटी को टिकट नहीं मिला, तो किरण ने अपने भविष्य को खतरे में महसूस किया और भाजपा में शामिल होने का फैसला किया।
कांग्रेस के लिए हो सकती है चुनौती
हरियाणा की राजनीति में तरंगें उठी हैं और कांग्रेस पार्टी के लिए यह एक चुनौती साबित हो सकती है। जबकि उदयभान ने इसे कठोर शब्दों में उठाया है, वहीं किरण चौधरी ने अपने पसंदीदा दल को बदलकर दिखाया है कि राजनीतिक परिवर्तन की दिशा उन्हें कहां ले जा सकती है।