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Haryana Assembly Dissolution : क्यों करनी पड़ी विधानसभा भंग? जानिए इसके पीछे की वजह

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Haryana Assembly Dissolution : हरियाणा विधानसभा को भंग कर दिया गया है। राज्यपाल भंडारु दत्तात्रेय के आदेश पर विधानसभा को भंग किया गया है। विधानसभा को भंग करने का नोटिस राजभवन से जारी हुआ है। नोटिस के मुताबिक हरियाणा विधानसभा को तुरंत प्रभाल से भंग करने का आदेश दिया गया है।

हरियाणा में आए सवैंधानिक संकट को टालने के लिए मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कैबिनेट की बैठक के बाद राज्यपाल से विधानसभा को भंग करने की शिफारिश की थी। सविंधान के अनुच्छेद 174 के तहक हरियाणा विधानसभा को भंग कर दिया गया है। सीएम सैनी अब एक्टिंग CM के रूप में अब सरकार में रहकर सिर्फ देखभाल करेंगे, नीतिगत कोई फैसले नहीं ले सकेंगे। राज्य में इस समय 14वीं विधानसभा चल रही है। 15वीं विधानसभा के गठन के लिए चुनाव की घोषणा हो चुकी है। 5 अक्टूबर को वोटिंग और 8 अक्टूबर को काउंटिंग होगी। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक है।

संवैधानिक बाध्यता

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संवैधानिक मामलों के जानकार एडवोकेट हेमंत कुमार का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 174(1) के अनुसार, किसी भी राज्य की विधानसभा के दो सत्रों के बीच छह महीने से अधिक का समय नहीं होना चाहिए। हरियाणा में 13 मार्च 2024 को एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया था, जिसमें मुख्यमंत्री नायब सैनी ने बहुमत साबित किया था। इसके बाद, 12 सितंबर तक दूसरा सत्र बुलाना अनिवार्य था, लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर सकी।

सेशन न बुलाए जाने की वजहें

  1. चुनाव आचार संहिता: सरकार ने सेशन इसलिए नहीं बुलाया क्योंकि 16 अगस्त को चुनाव आचार संहिता लागू हो गई थी। 17 अगस्त की कैबिनेट बैठक में सेशन के लिए निर्णय लेना था, लेकिन चुनाव आचार संहिता लगने के कारण सरकार ने यह कदम नहीं उठाया।
  2. विधायकों की स्थिति: 90 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में 81 विधायक हैं। भाजपा के पास 41 विधायकों का बहुमत था, लेकिन 14 विधायकों के टिकट काटे जाने से सरकार को डर था कि क्रॉस वोटिंग हो सकती है और प्रस्ताव गिर सकता है।

विकल्पों की कमी
संविधान में स्पष्ट है कि पिछले सत्र और अगले सत्र के बीच छह महीने का अंतराल नहीं होना चाहिए। सरकार ने मानसून सत्र पर कोई फैसला नहीं लिया, जिससे अब राज्यपाल से सिफारिश करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।

असर पर चर्चा
विधायकों का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा और वे पूर्व विधायक बन जाएंगे। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और मंत्री कार्यवाहक के रूप में काम करेंगे, लेकिन नीतिगत फैसले नहीं ले सकेंगे। आपात स्थिति में, जैसे महामारी या प्राकृतिक आपदा, वे निर्णय ले सकते हैं।

हरियाणा में विधानसभा भंग होने के उदाहरण
हरियाणा में पहले भी विधानसभा भंग हो चुकी है:

  • फरवरी 1972: बंसीलाल ने कांग्रेस सरकार में एक साल पहले विधानसभा भंग कराई।
  • दिसंबर 1999: ओमप्रकाश चौटाला ने इनेलो सरकार में 16 महीने पहले विधानसभा भंग की।
  • अगस्त 2009: भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस सरकार में विधानसभा भंग की और समय से पहले चुनाव कराए।

चुनाव की तारीखें
राज्य में 15वीं विधानसभा के गठन के लिए 5 अक्टूबर को वोटिंग होगी और 8 अक्टूबर को नतीजे घोषित होंगे। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक है, उसके बाद नई सरकार का गठन होगा।

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