Haryana के रेवाड़ी जिले की तीनों विधानसभा सीटों – कोसली, बावल, और रेवाड़ी – पर भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों को ‘साइलेंट’ बागियों से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। कोसली में कांग्रेस उम्मीदवार जगदीश यादव और भाजपा उम्मीदवार अनिल डहीना, बावल में भाजपा उम्मीदवार डॉ. कृष्ण कुमार और रेवाड़ी में भाजपा उम्मीदवार लक्ष्मण सिंह यादव के सामने बागियों से निपटना एक बड़ी चुनौती बन गया है।
बागियों का बढ़ता दबदबा
कुछ बागियों ने पार्टी छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है, लेकिन 4 प्रमुख चेहरे – राव यादवेंद्र, बिक्रम ठेकेदार, रणधीर सिंह कापड़ीवास और डॉ. बनवारी लाल – ने ना तो पार्टी छोड़ी है और ना ही खुलकर किसी उम्मीदवार के समर्थन में आए हैं। इन नेताओं का अपने क्षेत्रों में खासा जनाधार है, जिससे भीतरघात की संभावना बढ़ गई है। इन बागियों को मनाने के लिए अब तक कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए हैं।
भाजपा और कांग्रेस के बीच प्रत्याशी चयन पर मतभेद
इस बार भाजपा ने तीनों सीटों पर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की पसंद से उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि कांग्रेस ने बावल और कोसली में भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट के नेताओं को तरजीह दी। रेवाड़ी में कांग्रेस ने सिटिंग MLA चिरंजीव राव को फिर से प्रत्याशी बनाया है।
कोसली सीट पर बागी नेता
कोसली सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार जगदीश यादव के सामने पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह और निर्दलीय उम्मीदवार मनोज कोसलिया से चुनौती है। यादवेंद्र सिंह इशारों-इशारों में कह चुके हैं कि वे जगदीश यादव को नहीं जीतने देंगे। दूसरी ओर, भाजपा के अनिल डहीना को भी बिक्रम ठेकेदार से भीतरघात का खतरा है।
रेवाड़ी और बावल सीट पर भी बागियों की चुनौती
रेवाड़ी में भाजपा उम्मीदवार लक्ष्मण सिंह यादव को सबसे बड़ा खतरा पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास से है, जो टिकट कटने से नाराज हैं। बावल सीट पर भी डॉ. कृष्ण कुमार को डॉ. बनवारी लाल से साइलेंट बगावत का सामना करना पड़ रहा है।
रूठों के मानने के आसार कम
तीनों सीटों पर रूठे नेताओं को मनाने की कोई ठोस कोशिश नहीं की गई है, और उनके मानने की संभावना भी कम है। बागी नेता अपने तरीके से टिकट कटने का बदला लेने की तैयारी कर रहे हैं, जिससे कोसली और रेवाड़ी सीटों पर भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।







