Haryana विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में हलचल बढ़ गई है। राजनीतिक दलों(political partie) के बीच गठजोड़ की चर्चाएं तेज हो गई हैं। इस बीच दो बड़े नेताओं की मुलाकात ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। इनेलो(INLD) के महासचिव अभय सिंह चौटाला(Abhay Chautala) ने लखनऊ में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा(BSP) सुप्रीमो मायावती(supremo Mayawati) से मुलाकात की है। इस मुलाकात के बाद कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
अभय चौटाला ने इस मुलाकात के बारे में अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर लिखा, “आज बसपा सुप्रीमों और पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, परम आदरणीय बहन कुमारी मायावती जी से उनके निवास स्थान पर मुलाक़ात की और देश-प्रदेश के मुख्य मुद्दों पर विशेष चर्चा की।” इस महत्वपूर्ण मुलाकात के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव में बसपा और इनेलो का गठबंधन होगा। हालांकि, अभी तक दोनों पार्टियों की ओर से इस बारे में कोई बयान नहीं आया है।

इस साल हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। पिछली बार बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) और दुष्यंत चौटाला की जेजेपी (जननायक जनता पार्टी) ने मिलकर सरकार बनाई थी। लेकिन इस बार बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन टूट गया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की जगह अब नायब सिंह सैनी को प्रदेश का नया मुख्यमंत्री बनाया गया है। आगामी चुनाव में बीजेपी की ओर से नायब सिंह सैनी ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे, यह घोषणा अमित शाह ने कर दी है।
इनेलो और बसपा के संभावित गठबंधन की खबरों ने हरियाणा की राजनीति को और गर्मा दिया है। अभय चौटाला और मायावती की मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। अगर इनेलो और बसपा का गठबंधन होता है, तो यह गठबंधन हरियाणा की राजनीति में नए समीकरण बना सकता है।

अभी तक यह साफ नहीं है कि यह मुलाकात किसी गठबंधन के लिए थी या सिर्फ सामान्य चर्चा। लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस मुलाकात का हरियाणा की चुनावी राजनीति पर असर जरूर पड़ेगा। बसपा और इनेलो का साथ आना भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए चुनौती हो सकता है।
अभी तक बसपा और इनेलो ने अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। चुनाव की तारीखें नजदीक आते ही सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं। चुनावी माहौल गरमाने लगा है और जनता भी उम्मीद कर रही है कि इस बार के चुनाव में कौन सी पार्टी उनके हित में काम करेगी।
राजनीतिक दलों के गठबंधन और उम्मीदवारों की घोषणा से ही तय होगा कि इस बार हरियाणा की सत्ता किसके हाथ में होगी। सभी दल अपने-अपने तरीके से चुनाव प्रचार में जुट गए हैं और जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।