Political turmoil in Haryana

Haryana में सियासी हलचल, BJP सरकार की स्थिति और आगामी चुनौतियां

राजनीति हरियाणा

Haryana में हाल ही में लोकसभा चुनाव के बाद सियासी माहौल में काफी हलचल मची है। चुनाव नतीजों के बाद भाजपा(BJP) सरकार अल्पमत में आ गई है, क्योंकि तीन निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है। इस स्थिति में भाजपा ने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए सक्रियता बढ़ा दी है।

बता दें कि बुधवार रात को मुख्यमंत्री नायब सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भाजपा विधायकों के लिए एक डिनर का आयोजन किया। इस डिनर में जननायक जनता पार्टी (जजपा) के बागी विधायक जोगीराम सिहाग और रामनिवास सुरजा खेड़ा भी पहुंचे, जिससे राजनीतिक माहौल गर्म हो गया। इन विधायकों ने खुलेआम भाजपा के समर्थन की बात कही, जिससे भाजपा को थोड़ी राहत मिली है।

वर्तमान में हरियाणा विधानसभा में भाजपा के 41 विधायक हैं। इसके अलावा, निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत और हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोप) के विधायक गोपाल कांडा का भी समर्थन भाजपा को मिला हुआ है। इस प्रकार, कुल मिलाकर भाजपा के पास 43 विधायकों का समर्थन है, जबकि बहुमत के लिए 44 विधायकों की जरूरत होती है। वहीं दूसरी ओर विपक्ष के पास कुल 44 विधायक हैं, जिसमें कांग्रेस के 29, जजपा के 10, 4 निर्दलीय और 1 इनेलो के विधायक शामिल हैं।

जजपा विधायकों की स्थिति

जजपा के दो विधायकों, जोगीराम सिहाग और रामनिवास सुरजा खेड़ा, की भाजपा के समर्थन की घोषणा के बाद जजपा ने विधानसभा में उनके खिलाफ याचिका दायर की है। जजपा ने दलबदलू कानून के तहत इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की है। यदि स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता इन विधायकों की सदस्यता रद्द कर देते हैं, तो विधानसभा में विपक्ष की संख्या 2 विधायकों से घट जाएगी, जिससे भाजपा को फ्लोर टेस्ट में फायदा हो सकता है।

विधानसभा की मौजूदा स्थिति

लोकसभा चुनाव के बाद, हरियाणा विधानसभा में संख्या में भी बदलाव हुआ है। अब 90 विधायकों वाली विधानसभा में 87 विधायक ही बचे हैं। सिरसा के विधायक रणजीत सिंह चौटाला के इस्तीफे, बादशाहपुर के विधायक राकेश दौलताबाद के निधन और अंबाला लोकसभा सीट से कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी के चुनाव जीतने के बाद यह स्थिति बनी है। अब 87 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 44 हो गया है।

उप चुनाव और भाजपा की स्थिति

मुख्यमंत्री नायब सैनी के करनाल विधानसभा सीट से उप चुनाव जीतने के बावजूद भी भाजपा बहुमत से दूर है। वर्तमान में, भाजपा के पास 41 विधायक हैं और गोपाल कांडा तथा नयन पाल रावत का समर्थन मिलने के बावजूद, बहुमत से 1 नंबर दूर है। इस स्थिति में, जजपा के बागी विधायकों का समर्थन भाजपा के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

कांग्रेस, जजपा और INLD का संभावित गठबंधन

विधानसभा में कांग्रेस, जजपा और इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) का संभावित गठबंधन भाजपा सरकार के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है। यदि ये दल एक साथ आ जाते हैं, तो नायब सैनी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

संभावित राजनीतिक परिदृश्य

जजपा के बागी विधायकों की सदस्यता रद्द होने की स्थिति में, भाजपा के लिए फ्लोर टेस्ट में जीत की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। अगर विपक्ष की संख्या घटकर 42 हो जाती है, तो भाजपा बहुमत के करीब पहुंच जाएगी। इस स्थिति में, भाजपा को एक और निर्दलीय या छोटे दल के विधायक का समर्थन मिलने की संभावना बढ़ सकती है।

निष्कर्ष

हरियाणा की राजनीतिक स्थिति इस समय काफी अस्थिर है। भाजपा अपनी सरकार को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, जबकि विपक्ष भी अपनी रणनीतियों पर काम कर रहा है। आने वाले समय में विधानसभा में फ्लोर टेस्ट और अन्य राजनीतिक घटनाक्रमों के बाद स्थिति और स्पष्ट हो सकती है। फिलहाल, हरियाणा की राजनीति में हलचल जारी है और सभी की निगाहें आगामी घटनाओं पर टिकी हुई हैं।

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