केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में संविधान पर चर्चा का जवाब दिया और मोदी सरकार की विचारधारा और नीतियों को स्पष्ट किया। उन्होंने संविधान को सिर्फ एक दस्तावेज़ नहीं बल्कि वंचितों के कल्याण और राष्ट्र निर्माण की मूल प्रेरणा बताया। अमित शाह ने कहा कि संविधान पर चर्चा में देश की प्रगति, स्वतंत्रता संग्राम, और लोकतंत्र की गहराई को समझाने का अवसर मिला है, जो युवा पीढ़ी के लिए शिक्षाप्रद होगा।
उन्होंने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने संविधान में कई संशोधन किए हैं, जो देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं। अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने स्वतंत्रता की मूल भावना से समझौता किया और संविधान में विदेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया। उन्होंने इसके विपरीत भाजपा की भूमिका को उजागर किया, जिसमें 16 साल की अवधि में 22 बार संविधान में संशोधन किया गया, जबकि कांग्रेस ने 55 साल में 77 बार संविधान में बदलाव किए।
अमित शाह ने सरदार पटेल की भूमिका की सराहना की, जिन्होंने देश को स्वतंत्रता के बाद एकजुट करने और लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने यह भी बताया कि लोकतंत्र ने तानाशाहों का गुमान और अभिमान को दूर किया है और 77 वर्षों में 16 वर्षों तक भाजपा ने सत्ता में रहते हुए बदलाव किए, जबकि कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए अधिक संशोधन किए। यह तात्कालिक रूप से संविधान की मौलिकता और भारतीयता की चर्चा में गहराई तक गए जाने का संकेत देता है।