हरियाणा-पंजाब हाईकोर्ट से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां Lawyer बनने के लिए बीएएलएलबी के एक छात्र को नकल करते हुए पकड़े जाने पर दो साल तक परीक्षा देने से प्रतिबंधित कर दिया गया। इस मामले में छात्र की सजा कम करने की अपील को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
क्या है मामला?
दिसंबर 2023 में बीएएलएलबी के छात्र को ‘लॉ ऑफ कॉन्ट्रैक्ट’ विषय की परीक्षा में नकल करते हुए पकड़ा गया था। परीक्षा के दौरान उसकी उत्तर पुस्तिका और उसके पास मिले नोट्स में समानता पाई गई। छात्र पर विश्वविद्यालय कैलेंडर खंड II, 2007 के विनियम 5(ए) और 8 के तहत आरोप साबित हुआ।
कोर्ट का सख्त रुख
न्यायमूर्ति जसगुरप्रीत सिंह पुरी ने छात्र की सजा को कम करने से इनकार करते हुए कहा, “कानूनी पेशा नैतिकता पर आधारित है। ऐसे में भविष्य के वकील द्वारा नकल करना बेहद गंभीर मामला है। कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत सजा में किसी प्रकार की छूट देना उचित नहीं समझता।”
पंजाब यूनिवर्सिटी का पक्ष
पंजाब यूनिवर्सिटी ने छात्र की अपील का विरोध करते हुए तर्क दिया कि उसे परीक्षा में नकल करते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था। विश्वविद्यालय ने कहा कि यह फैसला नियमों के तहत लिया गया है और छात्र किसी भी सहानुभूति का पात्र नहीं है।
छात्र की दलील
छात्र ने कोर्ट में तर्क दिया कि दो साल का प्रतिबंध उसके करियर को प्रभावित करेगा। हालांकि, कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए नैतिकता को प्राथमिकता दी और कहा कि कानूनी पेशे में ऐसे कृत्यों की कोई जगह नहीं है।
नकल के खिलाफ सख्त संदेश
इस मामले ने नकल और अनैतिक कृत्यों के खिलाफ एक सख्त संदेश दिया है। कोर्ट का यह फैसला कानूनी पेशे में नैतिकता और अनुशासन बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।