नौतपा में बारिश की फुव् हारें ज् योतिष में राहत भरा मौसम दे रहा इस खतरे के संकेत जानें

नौतपा में बारिश की फुव्‍हारें, ज्‍योतिष में राहत भरा मौसम दे रहा इस खतरे के संकेत, जानें

धर्म-कर्म
  • 25 मई से शुरू हुआ नौतपा, लेकिन इस बार शुरुआत में बारिश ने दी अप्रत्याशित राहत।
  • ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश गर्मी और मानसून के जुड़ाव का संकेत।
  • नौतपा के दौरान सूर्य की आराधना और सावधानियां बेहद महत्वपूर्ण, विशेषकर वृष राशि वालों के लिए।

देश के उत्तरी राज्यों जैसे हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में जहां मई के आखिरी सप्ताह में आमतौर पर गर्मी अपने चरम पर होती है, वहां नौतपा के पहले और दूसरे दिन बारिश और आंधी ने बड़ी राहत दी है। हर साल 25 मई के आसपास सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, जिससे नौतपा शुरू होता है – यानी 9 दिन जब सूर्य की किरणें अत्यंत तीव्र और सीधी पड़ती हैं।

ज्योतिषाचार्य मनोज शर्मा का कहना है कि इस बार का नौतपा मौसम और ग्रहों की चाल दोनों दृष्टि से विशेष है। 25 मई दोपहर 3:15 बजे सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते ही नौतपा आरंभ हुआ, लेकिन गर्मी की जगह बारिश और ठंडी हवाओं ने वातावरण को ठंडा कर दिया।

नौतपा को लेकर पौराणिक मान्यता है कि यदि नौतपा के नौ दिन प्रचंड गर्मी वाले हों, तो आगामी मानसून अच्छा और संतुलित रहता है। वहीं, ज्योतिष के अनुसार सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में होता है और यदि उस दौरान बारिश हो, तो इसे “रोहिणी का गलना” कहते हैं – जो वर्षा और मौसम के असंतुलन की ओर संकेत करता है।

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डॉ. अनीष ने यह भी कहा कि नौतपा के समय विवाह, मांगलिक कार्य और यात्रा में विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। ग्रहों की स्थिति कुछ क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदा का कारण बन सकती है। वृष राशि वालों के लिए यह समय सावधानी और आत्मनियंत्रण का है।

☀ क्या करें, क्या न करें:

  • सूर्य की आराधना: रोहिणी नक्षत्र में सूर्य को जल चढ़ाना, मंत्र जाप (“ॐ सूर्यदेवाय नमः”) अत्यंत फलदायी माना गया है।
  • विशेष पूजा विधि: जल में कंकूम मिलाकर अर्घ्य दें।
  • सावधानी: यात्रा और विवाह कार्यक्रमों में ग्रह स्थिति अनुसार निर्णय लें।