हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर तीन साल में एक बार दो सावन महीने आते हैं, जिसे अधिक मास के नाम से जाना जाता है। ये आमतौर पर 32 महीने और 16 दिन बाद आता है। ज्योतिष के अनुसार हिंदू कैलेंडर चंद्रमा पर आधारित है इसलिए हर तीन साल बाद चंद्रमा के ये दिन लगभग एक महीने के बराबर हो जाते हैं ।
ज्योतिषीय गणना को ठीक रखने के लिए तीन साल बाद चंद्रमास में एक अलग महीना जोड़ दिया जाता है। जिसे हम अधिक मास के नाम से जानते हैं। देश में इसे अलग-अलग जगहों पर विभिन्न नामों से जाना जाता है। य़ह नाम अधिक मास, मलमास, पुरुषोत्तम मास और मलिम्लुच मास के नाम से जाने जाते हैं। अधिक मास का प्रारंभ 17 जुलाई से हुआ था, जो 16 अगस्त तक रहेगा।
क्यों कहा जाता है अधिक मास को मलमास और पुरुषोत्तम मास ?
पौराणिक कथा के अनुसार हिंदु धर्म में अधिक मास का विशेष महत्त्व है जिसे मलमास और पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है क्योंकि इसके स्वामी स्वयं भगवान श्रीहरि हैं। बता दें कि पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है साथ ही अधिक मास सूर्य और चंद्र मास के बीच संतुलन बनाने के लिए प्रकट हुआ है।
भगवान विष्णु कैसे बने अधिक मास के अधिपति ?
हिंदू धर्म में अधिक मास से जुड़ी बहुत सी पौराणिक कथाएं हैं इन्हीं में से कथा हिरण्यकश्यप से संबंधित है। कथा के अनुसार एक बार भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए हिरण्यकश्यप ने कठोर तप किया जिससे भगवान ब्रह्मा प्रसन्न हो गए। हिरण्यकश्यप ने उनसे अमरता का वरदान मांगा जो देना निषिद्ध था, इसलिए भगवान ब्रह्मा ने उसे कोई और वरदान मांगने को कहा- तब हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा जी से कहा आप ऐसा वरदान दें जिससे संसार का कोई नर-नारी, पशु, देवता, असुर उसे मार ना सके और वर्ष के सभी 12 महीनों में भी उसकी मृत्यु ना हो यानि ना उसे दिन में मारा जा सके, ना रात में, ना घर के अंदर ना घर के बाहर,वह ना किसी अस्त्र से मारा जा सके और ना ही किसी शस्त्र से।
भगवान ब्रह्मा ने उसे ये वरदान दे दिया लेकिन वरदान प्राप्त करते ही हिरण्यकश्यप स्वयं को अमर और भगवान के समान मानने लगा। ये देखकर भगवन विष्णु अधिक मास में नरसिंह अवतार के रुप में प्रकट हुए और शाम के समय विष्णु ने देहरी के नीचे अपने नाखुनों से हिरण्यकश्यप का सीना चीर कर उसे मौत के घाट उतार दिया। तभी से ये महीना भगवान विष्णु को समर्पित हो गया और ऐसा माना जाता है कि इस मास में भगवान विष्णु से मांगी गई सभी मनोकामनाएं पुरी होती है और घर में सुख-शांति का वास होता है।
कैसे करे भगवान विष्णु को प्रसन्न ?
- इस मास में ‘ऊॅं नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ मंत्र का जाप करने से भगवान विष्णु साधकों को स्वयं आशीर्वाद देते है और उनकी सभी इच्छाएं पुरी करते हैं।
- भगवान विष्णु से जुड़े धार्मिक अनुष्ठान और पाठ करें ।
- पीपल में भगवान विष्णु का वास होता है इसलिए रविवार को छोड़कर बाकी सभी दिन पीपल पर मीठा जल चढ़ाकर विष्णु मंत्र का जाप करते हुए पीपल की परिक्रमा करें ।