Lord Parshuram Birth Anniversary Rohtak

Haryana News : रोहतक में परशुराम जन्मोत्सव में खुलेआम लहराए फरसे व तलवारें, नवीन जयहिंद बोलें फरसा उठाना एक योद्धा का धर्म

धर्म-कर्म रोहतक

Haryana News : भगवान परशुराम जन्मोत्सव के मौके पर जयहिंद सेना के प्रमुख नवीन जयहिंद ने कहा कि मौसम गर्म है और यहां पहुंचे लोग उससे भी ज्यादा गर्म है। ठंडे लोग नहीं चाहिए, अगर ठंडे पड़ जाते तो यह जमीन कभी समाज को नहीं मिल पाती। आज इस जमीन पर खड़े होकर भगवान भोलेनाथ और परशुराम की जय नहीं बोल रहे होते। परशुराम का असली चेला वही है, जिसने मान-सम्मान और स्वाभिमान के लिए फरसा तक उठा लिया।

यह बातें जयहिंद सेना के प्रमुख नवीन जयहिंद ने रविवार को रोहतक के गांव पहरावर में आयोजित भगवान परशुराम जन्मोत्सव के मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए कहीं। इस दौरान कानून की अनदेखी करते हुए खुलेआम फरसे और तलवारें लहराई गई, जबकि लोकसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लगी हुई है और शस्त्र लेकर चलने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस दौरान नवीन जयहिंद ने कई दिन पहले ही गांव पहरावर में भगवान परशुराम जन्मोत्सव मनाने का ऐलान किया था। जिसको लेकर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से ही नहीं, दूसरे प्रदेशों से लोग कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे।

फरसा

इस दौरान नवीन जयहिंद ने इ लोगों के सामने पहरावर में देश की सबसे ऊंची 121 फीट की मूर्ति बनाने का प्रस्ताव रखा। जिस पर पंडाल में मौजूद सभी लोगों ने जोश में हामी भारी। साथ ही तन, मन, धन से साथ देने की बात कही। वहीं कार्यक्रम के दौरान नवीन जयहिंद की तबीयत भी खराब हो गई। जिसके कारण उन्हें कार्यक्रम के बाद सीधे अस्पताल लेकर जाना पड़ा। हालांकि पिछले कई दिनों से उनकी तबीयत बिगड़ी हुई बताई जा रही है।

इस दौरान नवीन जयहिंद ही नहीं, बल्कि कई लोग फरसा हवा में लहराते दिखाई दिए। नवीन जयहिंद ने कहा कि अन्याय के खिलाफ फरसा उठाना धर्म का काम है। उन्होंने कहा कि महिला के सम्मान, गरीबों की हक की लड़ाई और समाज की आवाज उठाने के लिए फरसा उठाना एक योद्धा का धर्म होता है। अगर हक की आवाज नहीं उठा सकते तो किसी भी भगवान के भक्त नहीं हो सकते।

नवीन जयहिंद ने फरसा लहराते हुए कहा कि इसी फरसे के दम पर 36 बिरादरी के भाईचारे ने पहरावर की जमीन की लड़ाई लड़ी। बुजुर्गों की पेंशन बनवाई, पीपीपी में हुई गड़बड़ी ठीक करवाई, बेरोजगारों की बारात निकली, पानी की समस्या को उठाया। फरसा केवल ब्राह्मणों का नहीं है, जो जनता की आवाज उठा सकते, शासन-प्रशासन से लड़ सकें, उन सभी का है। इस संबंध में सांपला डीएसपी राकेश मलिक का कहना है कि यह एक धार्मिक कार्यक्रम था। आयोजकों ने रोड पर कोई प्रदर्शन नहीं किया। उन्होंने कहा कि यदि शिकायत मिलती है तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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