हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। सालभर में 24 एकादशी आती हैं, जिनमें प्रत्येक का अपना धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष में आने वाली मोक्षदा एकादशी का महत्व सबसे खास है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने और व्रत रखने से मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं।
मोक्षदा एकादशी का महत्व
हरिद्वार के ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु की आराधना और विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करने से हजार अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। यह पुण्य फल और भगवान का आशीर्वाद कभी समाप्त नहीं होता।
व्रत की विधि
ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर एकादशी व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु के मंदिर में जाकर उनकी पूजा करें। घर में भी देवालय में विष्णु भगवान की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीप जलाएं।
विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ
मोक्षदा एकादशी पर विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करना अत्यंत फलदायी माना गया है।
भोजन पर ध्यान
व्रत के दिन चावल या चावल से बने पदार्थ ग्रहण करना वर्जित है। शास्त्रों के अनुसार, मोक्षदा एकादशी पर व्रत और पूजा करने से व्यक्ति के जन्म-मरण के बंधन समाप्त हो जाते हैं। इसे करने से प्राप्त पुण्य फल हजार अश्वमेध यज्ञ के बराबर होता है।
विशेष आशीर्वाद
मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति को कभी समाप्त न होने वाला पुण्य प्राप्त होता है। इस व्रत के पालन से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन के सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
इस दिन पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से व्रत करें। भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप और दान-पुण्य करना भी शुभ माना जाता है।
मोक्षदा एकादशी पर व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। इससे आपका जीवन सफल होगा और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग प्रशस्त होंगे।