सावन का महीना भगवान शंकर के साथ-साख मां गौरी का भी प्रिय होता है। इसलिए सावन में जिस तरह हर सोमवार को व्रत का महत्व होता है। उसी प्रकार सावन में पड़ने वाले हर मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। मां गौरी का व्रत विवाहिता औरतों के साथ-साथ कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं। माना जाता है कि इस व्रत के करने से मंगल दोष दूर हो जाता है और विवाह मे आने वाली बाधाएँ टल जाती हैं। यदि इस व्रत का जब तक इसका उद्यापन नहीं किया जाता तो यह व्रत निष्फल माना जाता है।
व्रत की विधि
मंगला गौरी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करें और लाल रंग के वस्त्र पहन लें। व्रत वाले दिन गठजोड़े में पूजा करें। एक लकड़ी की चौकी बनाकर उसके चारों ओर केले के पत्ते को बांध लें, फिर कलश से स्थापना करके उसके ऊपर मां गौरी की मूर्ति रखे।मां गौरी को सुहाग का सामान, वस्त्र, नथ आदि चढ़ाए जिससे मां गौरी प्रसन्न होगी उसके दौरान भगवान गणेश का ध्यान करते हुए श्रीमङ्गलागौर्यै नमः मंत्र का जाप करें और उसके 16 दीपक के साथ आरती करें।
मंगला गौरी शुभ मुहूर्त
सावन के महीने मे मंगला गौरी व्रत के करने से हर दुख दूर होते है। मंगला गौरी व्रत 22 अगस्त यानि आज के दिन मनाया जा रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5 बजकर 35 मिनट से दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक पूजा करने का मुहू्र्त है। सुकर्मा योग दोपहर 1 बजकर 44 मिनट से पूरी रात तक रहेगा।
जानिए मंत्रो का उच्चारण
मंगला गौरी व्रत के दिन मां गौरी की पूजा करने के बाद कुछ मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए, मंत्र करने के बाद मां गौरी प्रसन्न होकर मां गौरी मनवांछीत फल का आशिर्वाद देकर अपने भक्तों की सभी इच्छाए पूरी करती हैं।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा।