भारतीय Vivah परंपराओं में कई रस्मों का विशेष महत्व है, जिनमें हल्दी की गांठ बांधने की रस्म भी शामिल है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे शुभता का प्रतीक माना जाता है।
क्यों बांधी जाती है हल्दी की गांठ?
- दुल्हन और दूल्हे दोनों को बांधी जाती है:
हल्दी की गांठ सिर्फ दुल्हन को नहीं, बल्कि दूल्हे को भी बांधी जाती है। यह सुखमय जीवन और शुभता का प्रतीक मानी जाती है। - पति द्वारा गांठ खोलने की परंपरा:
शादी के बाद, दुल्हन के हाथ में बंधी हल्दी की गांठ को पति को एक हाथ से खोलना होता है।- इसे पति-पत्नी के बीच तालमेल और मधुर संबंध का प्रतीक माना जाता है।
- यह विश्वास किया जाता है कि जो पति इसे बिना मदद के खोल देता है, उसके और उसकी पत्नी के बीच रिश्ते मजबूत और सुखमय रहते हैं।

हल्दी की गांठ बांधने के लाभ
- नकारात्मक ऊर्जा से बचाव:
हल्दी को नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और सकारात्मकता बनाए रखने वाला माना जाता है। - बुरी नजर से सुरक्षा:
हल्दी की गांठ दुल्हन और दूल्हे को बुरी नजर से बचाती है। - ग्रहों को शांत करती है:
पंडित योगेश चौरे के अनुसार, हल्दी का संबंध ग्रह शांति से भी है। - संपन्नता का प्रतीक:
हल्दी को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। दुल्हन को ससुराल में सुख-शांति और संपन्नता बनाए रखने के लिए हल्दी की गांठ बांधी जाती है।
हल्दी की गांठ का आध्यात्मिक महत्व

यह परंपरा न केवल सुखद वैवाहिक जीवन का प्रतीक है, बल्कि यह यह दर्शाती है कि हल्दी जैसी साधारण चीज भी भारतीय संस्कृति में गहरी आस्था और महत्व रखती है।
हल्दी की गांठ बांधने की यह प्राचीन परंपरा पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करने के साथ-साथ नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं से बचाने का एक प्रतीकात्मक उपाय है। यह रस्म भारतीय संस्कृति में शुभता और समृद्धि का द्योतक है।