उदयपुर से 65 किलोमीटर दूर कुराबड़-बम्बोरा मार्ग पर स्थित एक प्राचीन Idana Mata Temple है, जो अपने अद्भुत और विचित्र संगीतात्मकता के लिए प्रसिद्ध है। यहां का Idana Mata, जिसे लोगों द्वारा अग्नि स्नान करते देखा जाता है, वास्तव में एक अद्भुत अनुभव है। माता की प्रतिमा के सामने अचानक ही आग उठना और फिर वह आग ठंडी हो जाना, यह देखने वालों को हैरान कर देता है।
बता दें कि मंदिर के कर्मचारियों अनुसार सदियों पहले पांडव यहां से गुजरे थे और माता की पूजा अर्चना की थी। जिससे इस स्थान को एक विशेष महत्व मिला। अग्रणी व्यक्तियों के साथ राजा जयसिंह भी यहां आए थे और देवी शक्ति की पूजा की थी।माताजी के आगमन के समय मंदिर में एक अद्भुत माहौल होता है। लोग भगवान की जयकार करते हैं और भक्तों की भीड़ जमा होती है।

वे मानते हैं कि जब मां प्रसन्न होती हैं, तब वे अग्नि स्नान करती हैं, लेकिन अब तक किसी भी वैज्ञानिक कारण का पता नहीं चला है कि आग कैसे लगती है और कब लगती है। जैसे ही आग लगने का अनुभव होता है, पुजारी तत्काल माताजी के आभूषण उतार लेते हैं और अग्नि को ठंडा कर देते हैं। फिर श्रृंगार किया जाता है और माता के प्रसाद का वितरण किया जाता है।

रोगियों का लकवा होने लगता है ठीक
मान्यता है कि यहां आने वाले रोगियों को लकवा और अन्य बीमारियों से निजात मिलती है। मंदिर का प्रसाद मंदिर में ही बांटा जाता है और यहां का अद्भुत और आत्मीय वातावरण हर किसी को मोह लेता है। ईडाणा माता मंदिर के अध्यक्ष कहते हैं कि यहां माताजी के अग्नि स्नान का कोई निश्चित समय नहीं होता, लेकिन इसे विशेष महत्व दिया जाता है।

अग्नि में मूर्ति को छोड़ सबकुछ हो जाता है स्वाहा
स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां महीने में कम से कम 2-3 बार स्वत: ही अग्नि प्रज्जवलित हो जाती है और इस अग्नि में माता की मूर्ति को छोड़कर उनका पूरा श्रृंगार और चुनरी सब कुछ स्वाहा हो जाता है। इस अग्नि स्नान को देखने के लिए भक्तों का मेला लगा रहता है। अगर बात करें इस अग्नि की तो आज तक कोई भी इस बात का पता नहीं लगा पाया कि ये अग्नि कैसे जलती है।

दंपति झूला चढ़ाकर मांगते है संतान
यहां भक्त अपनी इच्छा पूर्ण होने पर त्रिशूल चढ़ाने आते है और साथ ही जिन लोगों के संतान नहीं होती वो दंपती यहां झूला चढ़ाने आते हैं। खासकर इस मंदिर के प्रति लोगों का विश्वास है कि लकवा से ग्रसित रोगी मां के दरबार में आकर स्वस्थ हो जाते हैं।
