प्रदोष व्रत करने से होंगे भगवान शिव प्रसन्न, जानिए मूहर्त और पूजा का महत्व

धर्म

सावन के महीने मे प्रदोष का व्रत शिव भगवान को साक्षी मानकर रखा जाता है। इस वर्ष सावन के महीने मे प्रदोष का आखिरी व्रत कृष्ण की शुक्ल पक्ष को पड़ने वाला है। हिंदू धर्म के अनुसार ये व्रत एकादशी व्रत की तरह ही रखा जाता है। बता दें कि सावन के महीने में 24 प्रदोष व्रत होते है, लेकिन इस बार सावन के दो महीने होने के कारण 26 दिन के प्रदोष के व्रत रखे जाएंगे।

जानिए किस तारीख को पड़ने वाला है, प्रदोष का व्रत

सावन के महीने मे प्रदोष का व्रत 13 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन शिव भगवान की पूजा अर्चना की जाएगी और 13 अगस्त को रविवार होने के कारण इस व्रत को रवि प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाएगा। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस व्रत को रखता है, उस पर शिव भगवान का आशीर्वाद सदैव बना रहता है। यह व्रत 14 अगस्त की सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर खत्म होगा।

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किस मुर्हत पर करें भगवान शिव की पूजा ?

भगवान शिव जी की पूजा का विधान प्रदोष काल में है। हिंदू पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी प्रदोष काल का समय 13 अगस्त को पड़ने वाला है, इसलिए इसी दिन प्रदोष व्रत रखा जाएगा और शिव भगवान की पूजा की जाएगी।

प्रदोष व्रत की पूजा का महत्व

सावन के महीने मे प्रदोष व्रत का अधिक महत्व बढ़ जाता है। ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने में जो व्यक्ति भगवान शिव की पूजा करता है और प्रदोष व्रत रखता है, उस व्यक्ति पर भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती हैऔर इसी के साथ इस व्रत को करने से व्यक्ति के बुरे कर्मो का प्रभाव भी कम होता है।

जो व्यक्ति प्रदोष व्रत मे दान-पून्य आदि करता है तो उस व्यक्ति के जीवन में हमेशा खुशियां बनी रहती है। इस व्रत में शाम के समय शिव भगवान की पूजा की जाती और व्यक्ति को सभी रोगों से ग्रस्त होकर नश्वर शरीर होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।