Holi के उत्सव के साथ ही लोगों की हर्षोल्लास बढ़ती जा रही है। लोग एक दूसरे पर रंग लगाकर और होली(Holi) के गीतों के साथ मस्ती कर रहे हैं। शहर और गांव के सार्वजनिक स्थानों पर होली(Holi) के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
बता दें कि जहां एक ओर रविवार को होली का त्यौहार होलिका दहन के साथ मनाया जाएगा, वहीं दूसरी ओर सोमवार को होली खेली जाएगी। जिसका लोगों को बेसब्री से इंतजार है। वहीं होलिका दहन के लिए अनेक स्थानों पर तैयारियां चल रही हैं। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रविवार को रात 11:12 बजे से 12:24 बजे तक है। सोमवार को भी होलिका दहन किया जा सकता है, जो कि सूर्योदय से पहले होता है। होलिका पूजन के लिए समय भद्रा पुच्छ काल में 06:34 बजे से 07:54 बजे तक है।

होलिका की पूजा के दौरान लोग होलिका के पास बैठकर कच्चे सूत को लपेटते हैं। फिर उन्हें रोली और चावल से तिलक लगाते हैं और घर पर बने मिठाई और घी का भोग अर्पित करते हैं। होली के उत्सव में एक और बात भी है, जो कि इस बार चंद्रग्रहण का हो रहा है। होली का उत्सव हमें बहुत खुशी और मस्ती से भर देता है।

साढ़े 4 घंटे तक रहेगा चंद्र ग्रहण
होलिका और प्रहलाद की जय के उद्घाटन के बाद लोग शुद्ध जल के लोटे के साथ परिक्रमा करते हैं और अर्घ्य अर्पित करते हैं। इसके लिए कच्चे आम, नारियल, भुट्टे, या सप्तधान्य का उपयोग किया जाता है। सप्तधान्य में गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर आदि वस्तुएं शामिल हैं। होली के उत्सव में इस बार चंद्रग्रहण का हो रहा है, लेकिन इसका भारत में सूतक काल के नियमों पर कोई असर नहीं होगा। चंद्रग्रहण का समय सुबह 10:23 बजे से दोपहर 3:02 बजे तक है।

ऐसे करें दहन से पहले होली की पूजा
होलिका के पास पूर्व या उत्तर दिशा की ओर बैठकर कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटें और रोली चावल से तिलक करें। फिर घर पर बने मिष्ठान और देसी घी की अठावरी का भोग लगाएं और होलिका और भक्त प्रहलाद की जय का उद्घाटन करें। पूजा के बाद हाथ में शुद्ध जल का लोटा लेकर परिक्रमा करें और अर्घ्य दें।
