महाशिवरात्रि (26 जनवरी 2025) का त्योहार शिव भक्तों के लिए बेहद खास होता है, और इस साल महाकुंभ का आखिरी शाही स्नान और प्रमुख स्थलों पर पूजा-अर्चना की विशेष तैयारियां की गई हैं। इस अवसर पर आज हम आपको भगवान शिव की बारात के बारे में बताएंगे, जिसे रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने बड़े रोचक और अचंभित करने वाले तरीके से वर्णित किया है। यह बारात सामान्य देव विवाह से बिल्कुल अलग थी, जिसमें भूत-प्रेत, नाग, योगी, सिद्ध और गंधर्वों से सजी ये बारात देखने में अद्भुत थी। आइए जानते हैं इस बारात के बारे में रामचरितमानस की चौपाईयों के माध्यम से।

- भगवान विष्णु की चुटकी
जब शिव जी की बारात निकली, तो भगवान विष्णु ने मजाक करते हुए कहा, “यह बारात वर के योग्य नहीं लग रही, कहीं ऐसा न हो कि पराए नगर में लोग इसे देखकर हंसने लगें।” उनके इस कथन पर देवता मुस्कुराए और अपनी-अपनी सेनाओं सहित अलग हो गए। इस पर पूरी बारात और भी दिलचस्प हो गई। - विचित्र वेष में शिवगण
शिव जी के आदेश पर बारात में शामिल होने के लिए सभी गण निकल पड़े। इन गणों का रूप अत्यंत विचित्र था। कुछ ने अलग तरह की सवारी पकड़ी थी, तो कुछ अजीब वेष में दिखाई दे रहे थे। शिव जी ने जब यह अनोखी बारात देखी, तो वे भी मुस्करा उठे। - अजीबोगरीब आकृति वाले बाराती
बारात में कई ऐसे गण थे जिनके चेहरे बिना मुख के थे, कुछ के कई मुख थे। कुछ के पास कई हाथ-पैर थे, तो कुछ ऐसे थे जो बिना हाथ-पैर के थे। कुछ गण इतने मोटे थे कि उनका शरीर ताजे-ताजे दिख रहा था, जबकि कुछ इतने पतले थे कि केवल हड्डियों का ढांचा दिखाई दे रहा था। - भयानक और डरावने गण
बारात में शामिल कई गणों ने अजीबोगरीब और डरावने गहने पहने थे। उनके हाथों में खोपड़ियां थीं और शरीर पर ताजा खून लगा था, जिससे उनका रूप और भी भयावह और भयंकर लग रहा था। - भूत-प्रेतों की विशाल टोलियां
इस विचित्र बारात में सिर्फ गण ही नहीं, बल्कि असंख्य भूत, पिशाच, राक्षस और योगिनियां भी शामिल थीं। कुछ के चेहरे गधे, कुत्ते, सूअर और सियार जैसे थे। उनके अनगिनत रूपों का वर्णन कर पाना भी बहुत कठिन था। - दूल्हे के अनुरूप अनोखी बारात
जैसा दूल्हा था, वैसी ही उसकी बारात भी थी। रास्ते में यह विचित्र बारात लोगों के लिए कौतूहल और मनोरंजन का कारण बन रही थी। लोग इस अद्भुत दृश्य को देखकर हैरान थे। - मनचाहा रूप बदलने वाले बाराती
जैसे ही शिव जी की बारात हिमालय (पार्वती जी के पिता) के घर पहुंची, शिवगणों ने अपनी इच्छानुसार सुंदर और आकर्षक रूप धारण कर लिया। वे अपनी स्त्रियों और समाज के साथ मंगल गीत गाते हुए पार्वती जी के घर पहुंचे, जहां सबने प्रेमपूर्वक उनका स्वागत किया।
इस अनोखी और अलौकिक बारात का वर्णन रामचरितमानस में किया गया है, जो दर्शाता है कि शिव जी के विवाह की बारात एक सामान्य देव विवाह से कहीं ज्यादा अद्भुत और चमत्कारी थी।