हिंदु धर्म में Navratri का विशेष महत्व है। नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा के नौ स्वरूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों के दौरान मां पृथ्वी पर ही निवास करती हैं और अपने भक्तों के कष्टों को दूर करती है। साथ ही सुख-समृद्धि, धन-संपदा का आशीर्वाद देती है। साल 2024 में नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होकर 11 अक्टूबर को खत्म होगी।
हर साल कुल 4 बार नवरात्रे आते है। जिसमें से 2 गुप्त नवरात्रि होती है। जिसे तंत्र मंत्र की साधना के लिए खास माना जाता है। वहीं दूसरी ओर चैत्र और शारदीय नवरात्रि होती है, जो गृहस्थ जातकों के लिए काफी खास होती है। देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से इस त्योहार को मनाया जाता है। ऐसे में कुछ लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि नवरात्रि की शुरुआत कब और कैसे हुई? इस संदर्भ में नवरात्रि से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार आज हम आपको नवरात्रि से जुड़ी दो प्रमुख कथाओं के बारे में बता रहे हैं।
नवरात्रि बनाने के पीछे की पौराणिक कथा
महिषासुर नाम का एक बड़ा ही शक्तिशाली राक्षस था। वो अमर होना चाहता था और उसी इच्छा के चलते उसने ब्रह्मा की कठोर तपस्या की। ब्रह्माजी उसकी तपस्या से खुश हुए और उसे दर्शन देकर कहा कि उसे जो भी वर चाहिए वो मांग सकता है। महिषासुर ने अपने लिए अमर होने का वरदान मांगा। महिषासुर की ऐसी बात सुनकर ब्रह्मा जी बोले जो इस संसार में पैदा हुआ है उसकी मौत निश्चित है। इसलिए जीवन और मृत्यु को छोड़कर जो चाहो मांग लोग।
ऐसा सुनकर महिषासुर ने कहा ठीक है प्रभु, फिर मुझे ऐसा वरदान दीजिए कि मेरी मृत्यु ना तो किसी देवता या असुर के हाथों हो और ना ही किसी मानव के हाथों। अगर हो तो किसी स्त्री के हाथों हो। महिषासुर की ऐसी बात सुनकर ब्रह्माजी ने तथास्तु कहा और चले गए। इसके बाद तो महिषासुर राक्षसों का राजा बन गया, उसने देवताओं पर आक्रमण करना शुरू कर दिया, जिससे सभी देवता घबरा गए। हालांकि उन्होंने एकजुट होकर महिषासुर का सामना किया जिसमें भगवान शिव और विष्णु ने भी उनका साथ दिया, लेकिन महिषासुर के हाथों सभी को पराजय का सामना करना पड़ा और देवलोक पर महिषासुर का राज हो गया।
10वें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत किया
महिषासुर से रक्षा करने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के साथ आदि शक्ति की आराधना की। उन सभी के शरीर से एक दिव्य रोशनी निकली जिसने एक बेहद खूबसूरत अप्सरा के रूप में देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया। देवी दुर्गा को देख महिषासुर उन पर मोहित हो गया और उनसे शादी करने का प्रस्ताव सामने रखा। देवी दुर्गा मान गई, लेकिन उन्होंने उनके सामने शर्त रखते हुए कहा कि महिषासुर को उनसे लड़ाई में जीतना होगा। महिषासुर मान गया और फिर लड़ाई शुरू हो गई। ये लड़ाई पूरे 9 दिनों तक चली। दसवें दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर दिया। मान्यता है कि इन 9 दिनों में देवताओं ने रोज देवी की पूजा-आराधना कर उन्हें बल प्रदान किया। तब से ही नवरात्रि का पर्व मनाने की शुरुआत हुई।