इस साल अधिक मास की वजह से सावन के दो महीने हैं। ऐसे में सावन में पड़ने वाले व्रत और त्योहारों की सख्ंया बढ़ गई है। सावन के दो महीने होने के कारण पुर्णिमा भी दो बार पड़ रही है। जिसमें से पहली पुर्णिमा आज के दिन है। वहीं सावन की दूसरी पुर्णिमा 30 अगस्त को है।सावन और अधिक मास का शुभ संयोग होने की वजह से पुर्णिमा का महत्व और भी बढ़ जाता है।
पुर्णिमा व्रत की पूजा विधि
सुबह सूर्य निकलने से पहले उठकर स्नान करके सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद एक साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें और उन्हें धूप, दीप अर्पित करें। इसके बाद पुरे विधि विधान के साथ माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें। शाम के समय सत्यानारायण की कथा को पढे़ और अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए भगवान से प्रार्थना करें।
सावन महीने की पुर्णिमा का महत्त्व
अधिक मास में आने के कारण इस पुर्णिमा को अधिक पुर्णिमा भी कहा जाता है। सावन माह की पुर्णिमा का खास महत्व रखती है। इस दिन विशेष रुप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और सत्यनारायण का व्रत रखा जाता है। अधिक मास की पुर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है क्योंकि पीपल के पेड़ पर हर समय माता लक्ष्मी का वास होता है। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
घर में सुख-समृद्धि के लिए करें ये उपाय
1.पु्र्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
2.पुर्णिमा के दिन भगवान विष्णु का व्रत करने से कुंडली में शनि दोष का प्रभाव कम हो जाता है।
3.वैवाहिक समस्याओं को दूर करने के लिए पुर्णिमा के दिन चंद्रमा को दूध का अर्घ्य देना चाहिए।

