Vaman Dev

भगवान Vishnu ने क्यों लिया वामन अवतार, क्या है इसके पीछे की कथा? पढ़िए

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भगवान Vishnu को इस सृष्टि का पालनकर्ता कहा जाता है। भगवान विष्णु ने संसार की भलाई और उनके कल्याण के लिए धरती पर कई अवतार लिए। इन अवतारों में से एक अवतार वामन देव है। वामन देव को भगवान विष्णु का पांचवा अवतार माना जाता है।

जिन्होंने त्रेतायुग में भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को माता अदिति और कश्यप ऋषि के घर जन्म लिया था। जो भी सच्चे दिल से वामन देव की पूजा करता है, उसे सभी पापों से छुटकारा मिलता है और घर में सुख समृद्धि का वास होता है। इस दिन को श्रवण द्वादशी भी कहा जाता है। आइए जानते हैं कि भगवान विष्णु ने धरती पर वामन अवतार क्यों लिया था।

पौराणिक कथा

भागवत पुराण के अनुसार अत्यन्त बलशाली दैत्य राजा बलि ने इन्द्र देव को पराजित कर स्वर्ग पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था। भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद के पौत्र और दानवीर राजा होने के बावजूद राजा बलि एक भिमानी राक्षस था। बलि अपनी शक्ति का दुरुपयोग करके देवताओं और ब्राह्मणों को डराया करता था।

बलि ने इंद्रदेव का अधिकार छिना

अत्यन्त पराक्रमी बलि अपने बल से स्वर्ग लोक, भू लोक तथा पाताल लोक का स्वामी बन बैठा। इसके बाद बलि ने भगवान इंद्रदेव का अधिकार छिन लिया। जिसके बाद इंद्रदेव अन्य देवताओं को साथ लेकर भगवान विष्णु के पास पहुंचे। इंद्रदेव ने भगवान विष्णु को सारी बात बताई और मदद करने के लिए आग्राह किया। देवताओं की ऐसी हालत देख भगवान विष्णु ने आश्वासन दिया कि वे तीनों लोको को राजा बलि के अत्याचारों से मुक्ति दिलवाने के लिए माता अदिति के गर्भ से वामन अवतार के रूप में जन्म लेंगे।

भगवान विष्णु का बौना अवतार

जिसके बाद भगवान विष्णु ने वामन के रूप में धरती पर पांचवां अवतार लिया। इसके बाद भगवान वामन एक बौने ब्राह्मण के वेष में राजा बलि के पास गये और उनसे अपने रहने के लिए तीन कदम के बराबर भूमि देने का आग्रह किया। उनके हाथ में एक लकड़ी का छाता था, हालांकि गुरु शुक्राचार्य ने राजा बलि को किसी भी प्रकार के वचन देने को लेकर चेतावनी दी थी, लेकिन राजा बलि ने उन्हें वचन दिया कि उनकी ये मनोकामना जरूर पूरी करेंगे।

पैरों से नापे दो लोक

इसके बाद वामनदेव ने अपना आकार इतना बढ़ा लिया कि पहले ही कदम में पूरा भूलोक नाप लिया, दूसरे कदम में देवलोक नाप लिया और तीसरे कदम के लिए कोई भूमि नहीं बची। राजा बलि अपने वचन के पक्के थे, इसलिए तीसरे कदम के लिए राजा बलि ने अपना सिर झुका ​कर कहा कि तीसरा कदम प्रभु यहां रखें। वामन देव राजा बलि की वचनबद्धता से अति प्रसन्न हुए, इसलिए वामन देव ने राजा बलि को पाताल लोक देने का निश्चय किया और अपना तीसरा कदम बलि के सिर पर रखा जिसके बाद बलि पाताल लोक में पहुंच गए।

इस दिन मनाई जाएगी वामन जयंती

इस साल वामन जयंती 15 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन लोग वामन देव की पूजा करते हैं। इस बार वामन जयती की शुरुआत 14 सितंबर की शाम को 8 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और इसका अंत 15 सितंबर 2024 को शाम को 6 बजकर 12 मिनट पर होगा।

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